Sunday, December 15, 2024
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Hybrid Solar Eclipse 2023 : कल लगेगा साल का पहला सूर्य ग्रहण, जानिए भारत में सूतक काल’ मान्य होगा या नहीं?

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Hybrid Solar Eclipse 2023 : 20 अप्रैल को साल 2023 का पहला सूर्य ग्रहण (Hybrid Solar Eclipse) लगने वाला है। इस बार लगने वाला ये सूर्य ग्रहण आम नहीं है, खगोलशास्त्रियों का कहना है कि 100 साल में पहली बार अनोखा सूर्य ग्रहण लगने जा रहा है, लेकिन ये ,सूर्यग्रहण भारत में नहीं दिखाई देगा। तो ऐसे में आइए जानते है कि भारत में इसका सूतक मान्य होगा या नहीं।

इतने बजे लगेगा सूर्यग्रहण

बता दें कि, सूर्य ग्रहण 20 अप्रैल 2023 को सुबह 07.04 मिनट से शुरू होकर 5 घंटे 24 मिनट तक होगा और दोपहर 12:29 पर समाप्त होगा। साल का पहला ग्रहण मेष राशि और अश्विनी नक्षत्र में घटित होगा। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार ग्रहण में सूर्य के ऊपर राहु का प्रभाव बढ़ जाता है और सूरज ग्रसित हो जाता है। ग्रहण के समय नकारात्मक शक्तियां का प्रबल हो जाती है. ग्रहण के अशुभ प्रभाव से बचने के लिए सूतक लगता है जिसमें ग्रहण मोक्ष तक कई कार्य करने की मनाही होती है।

यह भी पढ़ें- Hybrid Solar Eclipse 2023 : 100 साल में पहली बार लगेगा अनोखा सूर्य ग्रहण! जानिए क्या होगा अलग?

ग्रहण से पहले लगने वाले सूतक काल को अशुभ घड़ी माना जाता है. इसमें घर से बाहर निकलना, भोजन पकाना-खाना, और धार्मिक-सामाजिक कार्य करने की मनाही होती है. कहते हैं कि ग्रहण के समय सूर्य से निकलने वाली किरणे दूषित हो जाती है, इसका असर सेहत पर पड़ता है। इससे भोजन भी अपवित्र हो जाता है. यहीं वजह है कि भोजन की पवित्रता बनाए रखने के लिए तुलसी पत्र डाली जाती है।

जानें भारत में सूतक मान्य होगा या नहीं

सूर्य ग्रहण से 12 घंटे पहले सूतक काल शुरू हो जाता है। इस सूर्य ग्रहण का सूतक 19 अप्रैल 2023 को शाम 7 बजे शुरू हो जाएगा लेकिन भारत वासियों के लिए ये सूतक मान्य नहीं रहेगा। वैशाख अमावस्या पर लग रहा सूर्य ग्रहण भारत में तो अदृश्य है इसलिए भारत में इसका सूतक काल भी मान्य नहीं होगा बल्कि जानकारों का अनुमान है कि इस सूर्य ग्रहण से भारत के शत्रुओं पर नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा, उनकी परेशानियां बढ़ सकती है।

जानें क्यों खास है ये सूर्य ग्रहण

इस बार होने वाले सूर्यग्रहण को हाइब्रिड सूर्यग्रहण (Hybrid Solar Eclipse) कहा जा रहा है। यह सूर्य ग्रहण इसलिए बेहद खास होने वाला है, क्योंकि ये तीन रूपों में दिखाई देगा. आंशिक, पूर्ण और कुंडलाकार सूर्य ग्रहण का मिश्रण ही हाइब्रिड सूर्यग्रहण कहलाता है। ऐसी घटना लगभग 100 साल में एक बार ही देखने को मिलती है. इस स्थित में चंद्रमा की धरती से ना तो ज्यादा दूरी होती है और ना ही कम होती है।

माना जा रहा है कि साल के पहले हाईब्रिड सूर्य ग्रहण से संक्रामक रोग दोबारा से दिखाई देंगे. ऐसे में जीवाणु जन्य रोगों का कुछ समय तक प्रभाव रहेगा।

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