Cyclone Biparjoy : हम अक्सर सुनते और पढ़ते है जब भी कोई तूफान आने वाला होता है, तो पहले से ही उसे कोई ना कोई नाम दे दिया जाता है। जैसे अभी चक्रवात बिपरजॉय (Cyclone Biparjoy) जो 15 जून को शाम को 4 से 8 बजे के बीच सौराष्ट्र, कच्छ जखाऊ पोर्ट के पास और पाकिस्तान के हिस्से में टकराएगा। जिसके चलते कच्छ और द्वारका में अधिक वर्षा की संभावना है और 15 जून को गुजरात के कच्छ और पाकिस्तान के कराची के बीच भूस्खलन की भी आशंका है। अब सवाल ये उठता है कि किसी तूफान को नाम कैसे दिया जाता है? जैसे इस तूफान का नाम बिपरजॅाय क्यों पड़ा ये क्या है और तूफानों को नाम देने की शुरुआत कब हुई? ऐसे कई सवाल है जो अक्सर उठते रहते है, तो आइये आज इसके बारे में जानते हैं…
Cyclone Biparjoy : बिपरजॉय क्या है?
सबसे पहले जानते है बिपरजॅाय क्या है, तो बता दें कि अरब सागर में इस साल उठे पहले चक्रवात को ‘बिपरजॉय’ (Cyclone Biparjoy) का नाम दिया गया है। पिछले कुछ दिनों में अरब सागर में रहने के बाद यह चक्रवाती तूफान छह जून की देर रात तेज हो गया। इसके बाद इसे साइक्लोन ‘बिपरजॉय’ नाम दिया गया।
‘बिपरजॉय’ बांग्ला भाषा का शब्द है जिसका अर्थ होता है ‘आपदा’। इस खतरनाक होते तूफान को बिपरजॉय नाम बांग्लादेश द्वारा ही दिया गया है।
कौन देता है तूफान को नाम?
इस चक्रवात का नामकरण विश्व मौसम विज्ञान संगठन (डब्ल्यूएमओ) द्वारा जारी किए गए आदेश के अनुसार किया गया था। दरअसल, जब एक ही स्थान पर कई तूफान एक्टिव हो जाते हैं तब ऐसी स्थिति में भ्रम को रोकने के लिए डब्ल्यूएमओ के निर्देशों के अनुसार चक्रवातों का नामकरण किया जाता है।
इस आदेश के तहत, छह क्षेत्रीय विशिष्ट मौसम विज्ञान केंद्र (RSMCs) और पांच क्षेत्रीय उष्णकटिबंधीय तूफान चेतावनी केंद्रों (TCWCs) को एडवाइजरी जारी करने और दुनियाभर में उष्णकटिबंधीय चक्रवातों को नाम देने के लिए अधिकृत किया गया है। 1950 के दशक से पहले तूफानों का कोई नाम नहीं होता था।
इस सन् से हुई तूफानों के नाम रखने की शुरुआत
अटलांटिक क्षेत्र में चक्रवातों के नामकरण की शुरुआत वर्ष 1953 की एक संधि से हुई। जबकि हिंद महासागर क्षेत्र के आठ देशों ने भारत की पहल पर इन तूफानों के नामकरण की व्यवस्था वर्ष 2004 में शुरू की। इन आठ देशों में भारत, बांग्लादेश, मालदीव, म्यांमार, ओमान, पाकिस्तान, थाईलैंड और श्रीलंका शामिल हैं। साल 2018 में ईरान, कतर, सउदी अरब, यूएई और यमन को भी इसमें जोड़ा गया। यदि किसी तूफान के आने की आशंका होती है तो ये 13 देशों को क्रमानुसार 13 नाम देने होते हैं।
कैसे दिया जाता है तूफान को नाम?
अब जानते है कैसे दिया जाता है नाम तो बता दें कि किसी भी तूफान का नाम देने के लिए वर्णमाला के हिसाब से एक लिस्ट बनी हुई होती है। हालांकि तूफान के लिए Q, U, X, Y, Z अक्षरों से शुरू होने वाले नामों का इस्तेमाल नहीं किया जाता है। अटलांटिक और पूर्वी उत्तर प्रशांत क्षेत्र में आने वाले तूफानों का नाम देने के लिए छह लिस्ट बनी हुई है और उसी में से एक नाम को सेलेक्ट किया जाता है। अटलांटिक क्षेत्र में आने वाले तूफानों के लिए 21 नाम मौजूद हैं।
इस फॉर्मूले का भी होता है प्रयोग
तूफानों के नामकरण के लिए ऑड-ईवन फॉर्मूले का भी प्रयोग होता जाता है। ईवन साल जैसे- अगर 2002, 2008, 2014 में अगर चक्रवाती तूफान आया है तो उसे एक पुलिंग नाम दिया जाता है। वहीं, ऑड साल जैसे- 2003, 2005, 2007 में अगर चक्रवाती तूफान आया है तो उसे एक स्त्रीलिंग नाम दिया जाता है। एक नाम को छह साल के अंदर दोबारा इस्तेमाल नहीं किया जाता है, जबकि अगर किसी तूफान ने बहुत ज्यादा तबाही मचाई है तो फिर उसका नाम हमेशा के लिए हटा दिया जाता है।
इस देश के सुझाव पर रखा गया तूफान का नाम Biparjoy
भारत, पाकिस्तान, श्रीलंका, बांग्लादेश, थाईलैंड, म्यांमार, ओमान और मालदीव ने तूफानों के नामों की लिस्ट बनाकर विश्व मौसम विज्ञान संगठन को सौंपी है। जब इन देशों में कहीं पर तूफान आता है तो उन्हीं नामों में से बारी-बारी से एक नाम को सेल्क्ट किया जाता है। चूंकि इस बार नाम देने की बारी बांग्लादेश की थी, इसलिए बांग्लादेश के सुझाव पर इस तूफान का नाम ‘बिपरजॉय’ (Cyclone Biparjoy) रखा गया।
यह लिस्ट आगे 25 साल के लिए बनाई जाती है। 25 वर्षों के लिए बनी इस लिस्ट को तैयार करते टाइम यह माना जाता है कि हर साल कम से कम पांच तूफान आएंगे। इसी आधार पर लिस्ट में नामों की संख्या तय की जाती है।
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