Sunday, December 15, 2024
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2000 Note का सर्कुलेशन बंद! जानिये कब-कब भारत में हुआ Demonetisation, क्यों पड़ती है इसकी जरूरत

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Demonetisation Of 2000 Note : 8 नवंबर 2016 का दिन तो आप सभी को याद ही होगा, जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) ने देश में नोटबंदी का ऐलान करते हुए 500 और 1000 के नोट चलन बाहर कर दिए गए थे। एक बार फिर शुक्रवार की शाम ऐसा ही ऐलान हुआ जिसमें भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने कहा कि अब 2000 रुपये के नोटों (2000 Note) को चलन से बाहर कर रहा है। वैसे भारत में नोटबंदी (Demonetisation) का इतिहास काफी पुराना है, आज हम आपको इस आर्टिकल के जरिए बताएंगे कि नोटबंदी क्यों होती है और देश में कब-कब नोटबंदी की गई।

2000 Note : RBI ने Demonetisation को लेकर दी ये जानकारी

पहले जान लें कि रिजर्व बैंक के अनुसार 2 हजार का नोट (2000 Note) बंद करने को लेकर क्या जानकारी दी, बता दें कि आरबीआई के अनुसार नए नोट की छपाई बंद कर दी गई है और रिजर्व बैंक धीरे-धीरे इन नोट्स को वापस लेगा। आम लोग अपने पास रखे 2-2 हजार के नोट 30 सितंबर तक किसी भी बैंक में जमा करा सकते हैं, इससे आम लोगों को पिछले नोटबंदी की तरह परेशान नहीं होना पड़ेगा और वे अपने पास रखे 2 हजार के नोट इस्तेमाल अब भी कर सकेंगे। आइए अब जानते है नोटबंदी क्यों और कब की जाती है।

जानें नोटबंदी क्या होती है

नोटबंदी या विमुद्रीकरण (Demonetisation) का अर्थ है किसी भी देश में सरकार द्वारा बड़े मूल्य के नोटों को बंद करना या उनके इस्तेमाल पर प्रतिबंध लगाना जिससे वे किसी भी काम के नहीं रहते। न ही उनसे कोई लेन देन किया जा सकता है, न ही कुछ खरीदा जा सकता है। सामान्यतः इस प्रक्रिया में प्रचलित पुरानी मुद्रा की जगह नई मुद्राएं लाई जाती हैं। ऐसा कई बार काले धन पर अंकुश व जाली मुद्रा पर नियंत्रण के लिए होता है। लेकिन यह सवाल आपने मन में जरूर आ रहा होगा कि क्या सरकार के पास नोटों को वापस लेने की शक्ति होती है। दूसरे शब्दों में, जब पुराने नोटों और सिक्कों को बंद करके नए नोट और सिक्के चलाए जाते हैं उसे नोटबंदी या विमुद्रीकरण कहते हैं।

जानें क्यों होती देश में नोटबंदी की आवश्यकता

यह ऐसा सवाल है, सभी के दिमाग में आता होगा कि आखिर किसी भी देश को नोटबंदी या विमुद्रीकरण की आवश्यकता क्यों पड़ती है? दरअसल, नोटबंदी या विमुद्रीकरण की आवश्यकता किसी भी देश को तब पड़ती जब देश में कालाधन की जमाखोरी और जाली नोटों के कारोबार में अधिकता होने लगती है। ऐसे में लोग टैक्स की चोरी करने के लिए नगद लेनदेन ज्यादा करने लगते हैं जिनमें ज्यादातर बड़े नोट शामिल होते हैं। भ्रष्टाचार, काला-धन, नकली नोट, महंगाई और आतंकवादी गतिविधियों पर काबू पाने के लिए नोटबंदी का उपयोग किया जा सकता है।

अर्थशास्त्री मानते हैं कि सुरक्षा के लिहाज से हर पांच सालों में नोटों में कुछ बदलाव किए जाने चाहिए, हालांकि नोटों को बंद ही कर देना अपने आप में ही एक बहुत बड़ा बदलाव है। 2016 में नोटबंदी से पहले तक जाली नोटों की संख्या इतनी बढ़ गई थी कि बैंक और एटीएम से भी नकली नोट निकलने के सामाचार मिल रहे थे। जांच करने के बाद पाया गया कि ये जाली नोट बिलकुल असली जैसे थे।

जानें भारत में कब-कब हुई नोटबंदी

साल 1946 में की गई थी नोटबंदी

देश में पहली नोटबंदी साल 1946 में हुई थी। आप जानकर हैरान हो जाएंगे ये नोटबंदी ब्रिटिश साम्राज्य के दौरान की गई थी। भारत के वायसराय और गर्वनर जनरल सर आर्चीबाल्ड वेवेल ने 12 जनवरी 1946 में हाई करेंसी वाले बैंक नोट डिमोनेटाइज (Demonetisation) करने को लेकर अध्यादेश प्रस्तावित किया था। इसके 13 दिन बाद यानी 26 जनवरी रात 12 बजे के बाद से ब्रिटिश काल में जारी 500 रुपये, 1000 रुपये और 10000 रुपये के हाई करेंसी के नोट प्रचलन से बाहर हो गए थे।

1978 में हुआ था Demonetisation

अंग्रेजों से आजादी मिलने के बाद साल 1978 में भी नोटबंदी (Demonetisation) की गई थी। ये आजाद भारत की पहली नोटबंदी थी। इसे कालेधन को खत्म करने के साथ भ्रष्टाचार को रोकने और अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाने के लिए भी किया गया था। उस दौरान जनता पार्टी के नेतृत्व वाली सरकार ने 16 जनवरी 1978 को 1000 रुपये, 5000 रुपये और 10 हजार रुपये के नोटों को बंद करने की घोषणा की थी। सरकार ने इस नोटबंदी की घोषणा के अगले दिन यानी 17 जनवरी को लेनदेन के लिए सभी बैंकों और उनकी ब्रांचों के अलावा सरकारों के खजाने को बंद रखने का फैसला किया था। हालांकि तत्कालीन आरबीआई गवर्नर आईजी पटेल ने इस नोटबंदी का विरोध किया था।

भारत में 2005 में मनमोहन सिंह की कांग्रेस सरकार ने 500 के 2005 से पहले के नोटों का विमुद्रीकरण कर दिया था।

2016 में मोदी सरकार किया था Demonetisation

2016 में भी मोदी सरकार ने नोटबंदी का फैसला किया था, तब 500 और 1000 के नोट चलन से बाहर कर दिए गए थे। जिसके बाद देश में काफी उथल-पुथल मची थी, क्योंकि भारतीय अर्थव्यवस्था में इन दोनों नोटों का प्रचलन लगभग 86 फीसदी था। यही नोट बाजार में सबसे अधिक चलते थे। लेकिन फिर नए नोट करेंसी मार्केट का हिस्सा बने. सरकार ने 200, 500 और 2 हजार का नोट (2000 Note) लॉन्च किया था. लेकिन अब इनमें से 2 2 हजार का नोट चलन से बाहर करने का फैसला किया गया है।

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1 COMMENT

  1. […] ना हो, पर ये सच एक जमाने में भारत में 1 लाख रुपए के नोट (One Lakh Rupees Note) की भी प्रिटिंग हो चुकी है। शायद आप में […]

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