Atiq Ahmed Murder Case : गैंगस्टर अतीक अहमद (Atiq Ahmed) और उसके भाई अशरफ अहमद की प्रयागराज (Prayagraj) में मेडिकल चेकअप के लिए ले जाते समय बीते शनिवार की रात गोली मारकर हत्या कर दी गई है। जिस वक्त अतीक और उसके भाई अशरफ पर गोली चलाई गई उस वक्त न सिर्फ उसके आसपास पुलिस थी बल्कि मीडिया भी मौजूद थी। दोनों को पुलिस कस्टडी के दौरान गोली मारी गई, इस हत्याकांड के बाद यूपी पुलिस और कानून व्यवस्था पर सुरक्षा को लेकर सवालिया निशान खड़े हो गए है। आपको बता दें कि ऐसा कोई पहली बार नहीं हुआ है जब पुलिस सुरक्षा में किसी पर गोली चली हो। अतीक-अशरफ से पहले भी राज्य में पुलिस कस्टडी में हत्या को लेकर सवाल उठ चुके हैं। आइए आज आपको ऐसे पांच बड़े हत्याकांड के बारे में बताएंगे जो पुलिस सुरक्षा के दौरान हो चुके है।
जानिए यूपी में पुलिस कस्टडी के दौरान हत्या के 5 बड़े मामले
रफीक हत्याकांड
अतीक अहमद और अशरफ की मौत ने राज्य में करीब सत्रह साल पहले हुए रफीक हत्याकांड की यादें एक बार फिर ताजा कर दी। कुख्यात डी-2 गिरोह के सरगना रफीक की भी पुलिस कस्टडी के दौरान हत्या कर दी गई थी। दरअसल रफीक को एसटीएफ के सिपाही धमेंद्र सिंह चौहान के मर्डर के मामले में कोलकाता से गिरफ्तार कर रिमांड पर शहर लाया गया था। उसके बाद कोर्ट ने उसे एके-47 की बरामदगी के लिए जूही यार्ड के पास ले जाने का आदेश दिया, उसे वहां ले जाया जा ही रहा था कि रफीक पर ताबड़तोड़ फायरिंग की गई और पुलिस कस्टडी में ही उसे मौत के नींद सुला दिया गया।
मोहित हत्याकांड
साल 2012 में सपा नेत्री की हत्या के आरोप में जेल में बंद मोहित की पुलिस कस्टडी में हत्या कर दी गई थी। यह घटना उस वक्त घटी जब मोहित को पेशी के लिए ले जाया जा रहा था। उस वक्त इस हत्या का आरोप शूटर हरेंद्र राणा और उसके साथियों पर लगाया गया था।
राजेश टोंटा हत्याकांड
मथुरा में पुलिस कस्टडी के दौरान मारे जाने की दो घटनाएं हो चुकी है। पहली घटना थी 17 जनवरी साल 2015 की। उस वक्त ब्रजेश मावी की हत्या के मामले में कुख्यात राजेश टोंटा को मथुरा जेल में बंद किया गया था। जेल में राजेश टोंटा और मावी गिरोह के बीच गैंगवार हो गया और जेल में फायरिंग हुई और बंदी अक्षय सोलंकी की मौत हो गई। वहीं इस गैंगवार में राजेश टोंटा सहित दो लोग घायल हो गए, उसी दिन रात के करीब 11:45 बजे घायल टोंटा को इलाज के लिए आगरा ले जाया जा रहा था तभी रास्ते में उसपर ताबड़तोड़ गोलियां चली।
श्रवण साहू हत्याकांड
बेटे को न्याय दिलाने के लिए लखनऊ के सआदतगंज में न्याय की लड़ाई लड़ रहे एक पिता श्रवण साहू की पुलिस की सुरक्षा में हत्या कर दी गई थी। श्रवण पर जब हमला किया गया तब वह घर पर थे और उनके घर के बाहर पुलिसकर्मी सुरक्षा दे रहे थे। श्रवण पर कुछ बाइक सवार बदमाश आए और ताबड़तोड़ गोलियां चलाई जिससे उनकी मौते पर ही मौत हो गई।
अल्ताफ की मौत
कोतवाली पुलिस की हिरासत में 9 नवंबर 2021 को 20 साल के एक युवक अल्ताफ की मौत हो गई थी। पुलिस के अनुसार अल्ताफ के मौत की वजह आत्महत्या थी। उन्होंने बताया कि उसने हवालात के टॉयलेट में टंकी के पाइप पर जैकेट की डोरी से फंदा लगाकर आत्महत्या कर ली थी, लेकिन परिवार ने पुलिस पर हत्या करने का आरोप लगाए थे।
20 सालों में इतने लोगों की पुलिस हिरासत में मौत
गृह मंत्रालय के तहत आने वाले नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) की एक रिपोर्ट के अनुसार भारत में पिछले 20 सालों में 1,888 लोगों की पुलिस कस्टडी में मौत हो चुकी है। आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, इन मामलों में पुलिसकर्मियों के खिलाफ 893 केस दर्ज किए गए और 358 लोगों के खिलाफ चार्जशीट दायर हुई, लेकिन सिर्फ 26 पुलिसकर्मियों को सजा दी गई।
उत्तर प्रदेश में 5 साल में पुलिस कस्टडी में इतनी मौतें
सुप्रीम कोर्ट ने साल 1996 में एक केस की सुनवाई के दौरान एक आदेश में कहा था कि किसी भी इंसान की पुलिस कस्टडी में हत्या जघन्य अपराध है। इसके बाद भी आंकड़े पर नजर डालें तो साल 2017 से लेकर साल 2022 तक उत्तर प्रदेश में पुलिस कस्टडी में 41 लोगों की हत्या हो चुकी है. लोकसभा में गृह मंत्रालय की ओर से दी गई जानकारी के अनुसार साल 2017 में 10 लोगों की मौत हुई, साल 2018 में 12 लोगों की पुलिस कस्टडी के दौरान मौत हुई, साल 2019 में 3, 2020 में 8 और 2021 में 8 लोगों की पुलिस कस्टडी में मौत हुई है।