Sawan 2023: पूरे देश में भगवान शिव के कई प्राचीन व चमत्कारिक मंदिर है, लेकिन आज हम आपको महादेव के एक ऐसे शिव मंदिर के बारे में बताएंगे, जहां हर साल शिवलिंग का आकार बढ़ता है। इतना ही नहीं यहां चंदन के पेड़ खुद से उग आते हैं। दूर-दूर तक इस मंदिर के चमत्कारों की ख्याति फैली हुई है। यहां तमाम भक्त महादेव और माता पार्वती के दर्शन करने और चंदन के पेड़ देखने के लिए आते हैं। तो चलिए जानते है ये कौन सा शिव मंदिर है और कहां स्थित है…
हर साल शिवलिंग का बढ़ता है आकार
दरअसल, हम जिस मंदिर की बात कर रहे है वो उत्तर प्रदेश के हमीरपुर जिला मुख्यालय से महज 4 किलोमीटर दूर यमुना नदी के किनारे स्थित सिंघमहेश्वर महादेव मंदिर (Singh Maheshwar Mahadev) है। इस मंदिर में दो शिवलिंग हैं, एक शिव का और पार्वती का शिवलिंग कहलाता है। यहां स्थित शिवलिंग को पाताली शिवलिंग कहा जाता है। इतिहासकार भवानी दीन की मानें तो इस धाम में मौजूद दोनों शिवलिंग गुप्तकालीन शिवलिंग हैं, जो जमीन से अपने आप निकले हैं और अमूल्य पत्थर के बने हुए हैं। इनकी सबसे बड़ी खासियत ये है कि इन शिवलिंगों का आकार हर साल एक चावल के समान बढ़ जाता है।
इस तरह उगने लगे चंदन के पेड़
मंदिर के महंत के अनुसार यहां उनके गुरु नारायणदास ने करीब 40 वर्ष पहले चंदन का एक पेड़ लगाया था। उसके बाद से यहां चंदन के पेड़ उगने का सिलसिला शुरू हो गया, जो आज भी कायम है। आज इस मंदिर के क्षेत्र में करीब आधा सैकड़ा चंदन के पेड़ उग चुके हैं। इसी चंदन से यहां महादेव और माता पार्वती शृंगार किया जाता है।
मंदिर की ये कहानी है प्रचलित
सिंघमहेश्वर महादेव मंदिर को लेकर एक कहानी भी प्रचलित है, इस कहानी के मुताबिक कहा जाता कि यहां यमुना नदी की बाढ़ के चलते कुछ साधुओं ने इन शिवलिंगों को दूसरे स्थान में स्थापित करने के बारे में सोचा था। इसके लिए खुदाई भी शुरू की गई, कई मीटर की खुदाई के बाद भी जब शिवलिंगों का अंत नहीं मिला तो साधुओं और ग्रामीणों ने हार मान ली। इसके बाद उसी स्थान पर शिवलिंगों का पूजन किया जाने लगा और मंदिर का नए सिरे से निर्माण कराया गया. कहा जाता है कि इस मंदिर में यदि सच्चे मन से कुछ भी मांगा जाए, तो मुराद जरूर पूरी होती है।
कहा जाता है कि इस मंदिर के आसपास इस समय करीब आधा सैंकड़ा चंदन के पेड़ हैं। ये पेड़ अपने आप कब और कैसे उगते हैं, इसके बारे में किसी को खबर तक नहीं होती। जब ये पेड़ बड़े हो जाते हैं, तब इन पेड़ों का पता चल पाता है। इसके चलते 25 सालों में करीब 18 बहु कीमती चंदन के पेड़ यहां से चोरी भी हो चुके हैं। इन चोरी हो चुके पेड़ों को आज तक बरामद नहीं किया जा सका। यहां के महंत का मानना है कि मंदिर में उगने वाले सभी चंदन के पेड़ सिंघमहेश्वर बाबा के आशीर्वाद से इस क्षेत्र में लहरा रहे हैं।
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