Nag Panchami 2024 : सनातन धर्म और भारतीय संस्कृति में सांपों और नागों की पूजा प्राचीन काल से ही चली आ रही है। भगवान शिवजी भी नाग वासुकी को अपने गले पर धारण किए रहते हैं। नाग पंचमी के मौके पर नाग देवता की पूजा की जाती है। विशेषकर उत्तर भारत में नाग पंचमी और दक्षिण भारत में नागल चैथी का पर्व मनाया जाता है। आज नाग पंचमी (Nag Panchami 2024) का पर्व मनाया जा रहा है। इस दिन नाग देवता के दर्शन को मंदिरों में भक्तों की भीड़ देखने को मिलती है, लेकिन आज आपको नागदेवता के एक ऐसे मंदिर के बारे में बताएंगे, जो पूरे साल में केवल एक बार नाग पंचमी के दिन ही खुलता है। आइए जानते है इस मंदिर से जुड़ी विशेषताओं और महत्व के बारे में।
Nag Panchami 2024 : यहां स्थित है मंदिर
हम बात कर रहे है उज्जैन स्थित नागचंद्रेश्वर मंदिर (Nagchandreshwar Temple) की, जो देश का एकमात्र ऐसा मंदिर है जिसका कपाट पूरे साल में केवल एक बार नाग पंचमी (Nag Panchami 2024) के दिन ही इस खुलता है। इस दिन नागचंद्रेश्वर महादेव के दुर्लभ दर्शन होते हैं। यही कारण है कि इस दिन देशभर से श्रद्धालु यहां पहुंचते हैं। मान्यता है कि मंदिर के दर्शन करने से कालसर्प दोष दूर होते हैं।
स्वयं विरजमान है नागराज तक्षक
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार उज्जैन के नागचंद्रेश्वर मंदिर (Ujjain Nagchandreshwar Mandir) में 11वीं शताब्दी की प्रतिमा स्थापित है। कहा जाता है कि इस मंदिर में स्वयं नागराज तक्षक विराजमान हैं, जिसमें फन फैलाए नाग के आसन पर भगवान शिव और मां पर्वती विराजमान हैं। माना जाता है कि इस प्रतिमा को नेपाल से लाया गया था। उज्जैन के अलावा दुनिया में कहीं भी ऐसी प्रतिमा नहीं है।
इसलिए बस साल में एक बार खुलता है मंदिर का कपाट
प्रचलित कथाओं के अनुसार उज्जैन का नागचंद्रेश्वर मंदिर साल में केवल नाग पंचमी (Nag Panchami 2023) के दिन खुलने के पीछे एक कहानी है जिसके अनुसार, सर्पराज तक्षक ने भोलेनाथ के मनाने के लिए घोर तपस्या की थी। उनकी कठोर तपस्या के प्रसन्न होकर शिवजी ने उन्हें अमरत्व का वरदान दिया। इसके बाद नागराज तक्ष भगवान शिव और माता पार्वती को अपनी छाया में रखते हैं। कहा जाता है तभी से नागराज तक्षक ने भोलेनाथ के सानिध्य में रहना शुरू कर दिया, लेकिन महाकाल-वन में वास करने से पहले उनकी यही इच्छा थी कि उनके एकांत में विघ्न ना हो, इसलिए वर्षों से यही प्रथा है कि सिर्फ नाग पंचमी के दिन ही वे दर्शन देते हैं, बाकी समय उनके सम्मान में परंपरा के अनुसार मंदिर बंद रहता है।
कहा जाता है कि यह एकमात्र ऐसा मंदिर है जिसमें भगवान विष्णु की जगह भोलेनाथ सांप की शय्या पर विराजमान है। मंदिर में स्थापित मूर्तियों में भगवान शिव, मां पार्वती और भगवान गणेश दस मुख वाले सांप की शैय्या पर विराजमान हैं. नाग पंचमी के दिन हर साल नाग देवता की त्रिकाल पूजा-अर्चना की जाती है।
दर्शन से दूर होता है काल सर्पदोष
मान्यताओं के अनुसार नाग पंचमी के दिन नागचंद्रेश्वर मंदिर में दर्शन कर पूजा अर्चना करने से काल सर्पदोष से मुक्ति मिलती है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार कुंडली में सर्प दोष होने का अर्थ होता है कि व्यक्ति का जीवन उतार-चढ़ाव से भरा रहता है। बहुत मेहनत के बाद भी तरक्की हासिल नहीं होती है।
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