Layoff : पिछले कुछ महीनों से दुनियाभर की कई कंपनियों में अचानक से छंटनी की आंधी शुरू हो गई है। कई जानी-मानी कंपनिया बड़ी संख्या में अपने कर्मचारियों को नौकरी से निकाल रहे हैं। इसकी शुरुआत सबसे हाल में माइक्रोब्लॉगिंग साइट Twitter के मालिक बने एलन मस्क ने की इसके बाद से मानो जैसे छंटनी की लहर चल पड़ी हो। इस लिस्ट में मेटा, अमेजन भी शामिल हो गई है इन्होंने ने भी अपने कर्मियों को निकालने का ऐलान कर दिया है। साथ ही गूगल भी अपने 10000 कर्मचारियों को निकालने जा रही है। लेकिन सवाल ये उठता है कि आखिर क्या कारण है, जो दुनियाभर की बड़ी कंपनिया अचानक क्यों अपने कर्मियों की को नौकरी से निकाल रही है, कहीं ये मंदी की आहतट तो नहीं है। आइए कुछ तथ्यों के जरिए इसे समझने की कोशिश करते है।
जानें क्या कर रहें है विशेषज्ञ
उद्योग के विशेषज्ञों के अनुसार तकनीक की दुनिया में कोरोना खत्म होने के बाद से कमाई तेजी से घट रही है। ऐसे में जब कंपनियां आने वाले वर्ष के लिए प्लान बनाना शुरू कर रही हैं तो वे अपने वर्कफोर्स में भी कमी ला रही हैं। आर्थिक पूर्वानुमान गंभीर दिखने के साथ, टेक फर्मों ने इसकी शुरुआत भी कर दी है। कंपनियां वेतन लागत को कम करने के लिए अपने कार्यबल में कटौती के साथ शुरू कर रही हैं।
मौजूदा समय अर्थव्यवस्था की स्थिति काफी खराब
महंगाई और कंपनियों से छंटनी की प्रक्रिया पर एक प्रतिष्ठित न्यूज चैनल को दिए गए इंटरव्यू में अमेजन के फाउंडर जेफ बेजोस ने कहा कि ‘मौजूदा समय अर्थव्यवस्था की स्थिति काफी खराब है। आर्थिक गतिविधियों में रुकावट शुरू हो चुकी है। आप कई सेक्टर में छंटनी की प्रक्रिया तेज होते हुए देख सकते हैं। ऐसे में अगर अभी मंदी का दौर नहीं है, तो जल्द ही हम उस दौर में पहुंच जाएंगे।’
आने वाला 5-6 महीने टेक कंपनियों के लिए काफी बुरा
इसी तरह कई अन्य आर्थिक मामलों के जानकार और कंपनियों के मालिक मंदी की आशंका जता चुके हैं। ब्रोकरेज फर्म नोमुरा की एक रिपोर्ट के अनुसार, आने वाले सालभर के अंदर दुनिया की बड़ी अर्थव्यवस्था वाले देशों को मंदी का सबसे बुरा दौर देखने को मिल सकता है। इसका सबसे ज्यादा असर टेक कंपनियों पर ही पड़ेगा। 5-6 महीने टेक कंपनियों के लिए काफी बुरे साबित होंगे।
विश्व बैंक ने भी दिया था ये बयान
जुलाई में विश्व बैंक का भी एक बयान आया था, जिसमें कहा गया था कि इस साल के अंत तक दुनिया की आर्थिक प्रगति कम होने की आशंका है। इसलिए ज्यादातर देशों को आर्थिक मंदी की तैयारी कर लेनी चाहिए, पूरी दुनिया ज्यादा महंगाई और कम विकास दर से जूझ रही है, जिसकी वजह से 1970 के दशक जैसी मंदी आ सकती है। दुनियाभर में इसका असर दिखने भी लगा है।
अगले कुछ हफ्तों में होगी ताबड़तोड़ छंटनी
विशेषज्ञों का कहना है कि आने वाले हफ्तों में हजारों तकनीकी कर्मचारी नौकरी से बाहर हो सकते हैं। गूगल और फेसबुक जैसी कंपनियों के बाद छोटी टेक कंपनियां भी अपने कारोबार को सिमटता देख अपने कर्मचारियों की संख्या को कम करने पर काम कर रही हैं। बड़ी टेक कंपनियों ने पिछले कुछ हफ्तों में कम-से-कम कमाई की अशंका व्यक्त की है। कंपनियों ने आने वाले महीनों के बारे में चेतावनी के संकेत भी दिए हैं।
कंपनियों का कहना है कि मंदी का खतरा ग्राहकों को खर्च कम करने के लिए मजबूर कर रहा है। इसका मतलब है कि आने वाले हफ्तों और महीनों में, कंपनियां लागत कम करने की के लिए और भी बड़े छंटनी कार्यक्रम की घोषणा कर सकती हैं। ऐसे में नवंबर-दिसंबर में छंटनी की यह महामारी वैश्विक रूप ले सकती है।
सबसे पहले वर्कफोर्स और विज्ञापन पर पड़ती है मार
विशेषज्ञों के अनुसार कोई भी कंपनी जब लागत में कटौती करती है, तो आमतौर पर सबसे पहली मार वर्कफोर्स और विज्ञापन और मार्केटिंग पर पड़ती है। टेक कंपनियां महामारी के बाद के दौर से गुजर रही हैं। वहीं वैश्विक मंदी के खतरे के बीच वे अपनी लागत को कम करने पर जोर दे रही हैं। बड़ी टेक कंपनियों के बाद अब स्टार्टअप्स में भी छंटनी का दौर शुरू हो सकता है।
क्रिसमस तक जारी रहेगी छंटनी
विशेषज्ञों का मानना है कि कंपनियां अपनी बैलेंसशीट को ठीक करने की कोशिश में क्रिसमस छंटनी के नए दौर शुरू कर सकती हैं। इसका मतलब है कि क्रिसमस की छुट्टियों से पहले और साल की शुरुआत से पहले बड़ी संख्या में लोग अपनी नौकरी से हाथ धो बैठेंगे, लेकिन इसका दूसरा असर यह भी है कि साल की दूसरी तिमाही तक एक बार फिर नौकरियों की बहार आ सकती है।
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