What is Hikikomori : दुनिया से Covid-19 का प्रकोप अभी खत्म नहीं हुआ था कि एक और खतरनाक बीमारी ने जापान (Japan) के युवाओं को अपने चपेट में ले लिया है। इस बीमारी को जापानी भाषा में हिकीकोमोरी (Hikikomori) नाम दिया गया है। जिससे जापान में लाखों युवा ग्रसित है, एक्सपर्ट का मानना है कि ऐसा बढ़ते कोरोना वायरस में क्वॉरेंटाइन होने के कारण हुआ है। ये बीमारी कोरोना से भी घातक है, आइए जानते है इस बीमारी के बारे में पूरी डिटेल..
जानें क्या है हिकीकोमोरी
हिकीकोमोरी (Hikikomori) एक जापानी शब्द है जो आमतौर पर जापानी युवाओं के बीच देखा जाता है। इसका अर्थ होता है “सोशल विचलितता” से घेरे हुए लोगों के लिए घर में अकेले रहना। इस बीमारी से ग्रसित युवा सामाजिक या परिवारिक दबाव के कारण बाहर नहीं निकलते और घर में ही रहते हैं। ये लोग अपने कमरे में बंद हो जाते हैं और अपने दोस्तों या परिवार के साथ समय नहीं बिताते हैं। वे अक्सर इंटरनेट या वीडियो गेम खेलने में समय बिताते हैं। इस स्थिति में उन्हें अपनी समाजिक जिंदगी, कैरियर विकास और स्वास्थ्य से बचने के लिए नुकसान होता है।
कोरोना वायरस से भी खतरनाक बीमारी
हिकीकोमोरी को कोरोनावायरस से भी खतरनाक बीमारी माना जाता है। कोरोनावायरस (COVID-19) महामारी के समय में, अधिकतर लोगों को सामाजिक दूरी बनाए रखने के लिए आवश्यक था। कोविड-19 महामारी ने हिकीकोमोरी संबंधी समस्याओं को और भी गंभीर बना दिया है। ये लोग अपने घरों में बंद होते हुए अधिकतर समय इंटरनेट और टेक्नोलॉजी के साथ बिताते हैं, जिससे उनके लिए नकारात्मक प्रभाव होते हैं। इसलिए, इस समय में हमें अपने जीवन को स्वस्थ रखने के लिए सामाजिक जुड़ाव बनाए रखना बहुत जरूरी है।
क्या है इस बीमारी की दूसरी वजह?
एक्सपर्ट्स का मानना है कि क्वॉरेंटाइन के अलावा हिकीकोमोरी की असल वजह युवाओं पर बढ़ता पढ़ाई का प्रेशर, अच्छी नौकरी करने की इच्छा और अधिक से अधिक पैसा कमाने की चाहत है। जापान में करीब 30,000 लोगों पर एक सर्वे किया गया जिसमें 10 साल से लेकर 69 साल के लोगों को शामिल किया गया। इस सर्वे के परिणाम पर नजर डालने पर पता चला कि हिकीकोमोरी से जापान के करीब 15 लाख युवा ग्रसित हैं। युवाओं का इस तरह घरों में खुद को कैद कर लेना और लोगों से न मिलना – जुलना जापान सरकार की भी चिंता का विषय बनता जा रहा है।
क्या है इसका इलाज
जानकारों की मानें तो हिकिकोमोरी शब्द की उत्पत्ति 1990 के दशक में जापान में ही हुई थी। इस शब्द को उन युवाओं के लिए इजाद किया गया था जिन्होंने समाज की मुख्यधारा से खुद को काटकर अलग कर लिया है। हिकीकोमोरी अक्सर जापान में देखा जाता है, लेकिन ये समस्या दुनिया के अन्य हिस्सों में भी होती है। आमतौर पर इस बीमारी का इलाज दवा से नहीं किया जाता बल्कि इसके लिए साइकोलॉजिस्ट की मदद ली जाती है और और साइकोथेरेपी कराई जाती है