Unique Lake Of India : वैसे तो भारत में कई ऐसी प्रसिद्ध झीलें (Lack) है जिनकी खूबसूरती हर किसी का मन मोह लेती है। इनमें से कई झीलें ऐसी भी होगी, जिन्हें आपने देखा होगा। लेकिन आज हम आपको एक ऐसी झील (Unique Lake) के बारे में बताने जा रहें है, जो काफी रहस्यमयी है। वहीं इस झील को लेकर कहा जाता है कि उल्कापिंड (Meteorite) के टकराने से बनी। तो चलिए जानते है कि यह झील कहां है और जुड़ी कई दिचलस्प बातें जो आपको भी हैरान कर देंगी…
Unique Lake : कहां स्थित है यह झील
हम जिस झील की बात कर रहें है वो महाराष्ट्र (Maharashtra) के बुलढाणा जिले में स्थित है। जिसका नाम लोनार झील (Lonar Lake) है। इसकी सौंदर्यता आपोक मोहित कर देगी। वहीं यह झील कई रहस्यों से घिरी हुई भी है।
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5 लाख 70 हजार साल पुरानी झील
इस झील को लेकर वैज्ञानिकों का मानना था कि 70 के दशक में इसका निर्माण ज्वालामुखी से हुआ है, लेकिन यह थ्योरी गलत सिद्ध हुई, क्योंकि अगर leck ज्वालामुखी होती तो 150 मीटर गहरी नहीं होती। इसके अलाव रिसर्च में यह बात भी सामने आई है कि इस झील का निर्माण एक उल्कापिंड के प्रभाव से हुआ है, लेकिन उल्कापिंड कहां गया इस बारे में अभी कोई जानकारी नहीं मिल पाई है। नासा से लेकर दुनिया की कई एजेंसियां है, जो इस पर रिसर्च कर रही हैं। 2010 से पहले यह माना जाता था कि यह लोनार झील 52 हजार साल पुरानी है, लेकिन शोध के अनुसार यह करीब 5 लाख 70 हजार साल पुरानी बताई गई।
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इतनी बड़ी है झील
यह झील काफी गहरी बताई जाती है। इसका ऊपरी भाग लगभग 7 किमी है और यह 150 मीटर गहरी है। वहीं दूसरी ओर ऐसा माना जाता है कि पृथ्वी से टकराने वाला उल्कापिंड एक मिलियन टन रहा होगा। जब यह 22 किमी/सेकेंड पर पृथ्वी से टकराया, तो तापमान 1800 डिग्री था, जो उल्कापिंड को पिघला देता।
अकबर भी पीता था इस झील का पानी
बता दें कि इस लोनार झील के बारे में आपको ऋग्वेद और स्कंद पुराण में भी जानकारी मिल जाएगी। इसका जिक्र पद्म पुराण और ऐन-ए-अकबरी में भी मिलता है। कहा जाता है कि अकबर इस झील के पानी को सूप में मिलाकर पीता था। लेकिन इस झील को मान्यता 1823 में मिली, इस समय ब्रिटिश अधिकारी जेई अलेक्जेंडर ने इस जगह का दौरा किया था।
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2006 में सूख गई थी ये झील
वहीं लोनार झील के पास उल्कापिंड (Meteorite) के प्रभाव से दो और झीलें बनीं थी, लेकिन अब दोनों गायब हो गई हैं। हालांकि, 2006 में यह झील पूरी सूख गई, लेकिन बारिश के बाद तालाब फिर भर गया।
कई कहानियां है प्रचलित
वहीं इस झील को लेकर कई कहानियां भी प्रचलित हैं। बताया जाता है कि लोनासुर नाम का एक राक्षस था, जिसे भगवान विष्णु ने मार डाला था। उसका खून भगवान के पैर के अंगूठे पर छलक गया, एक गहरा छेद बन गया जब भगवान ने उसे हटाने के लिए अपने पैर के अंगूठे को मिट्टी में डाल दिया।
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झील के पास स्थित है कई प्राचीन मंदिर
बता दें कि लोनार झील के पास आपको कई प्राचीन मंदिर भी देखने को मिल जाएंगे। वहीं यहां एक दैत्यसूदन मंदिर भी है। यह मंदिर भगवान विष्णु दुर्गा, सूर्य और नरसिंह को समर्पित है, इसकी बनावट आपको ताड़ के पेड़ की तरह लगेगी। इसके अलावा यहां लोनारधर मंदिर, कमलजा मंदिर, मोथा मारुति मंदिर भी स्थित हैं। जिसका निर्माण लगभग एक हजार साल पहले यादव वंश के एक राजा ने करवाया था।
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