भारत में ऐसे कई मंदिर हैं जो बेहद चमत्कारी और रहस्मयी है। यह मंदिर अपनी विशिष्टताओं और दैवीय चमत्कारों से पूरी दुनिया में जाने जाते हैं। वहीं इन मंदिरों में अक्सर ऐसे चमत्कार देखने को मिलते हैं, जिन्हें देखकर या जानकर हर कोई हैरान हो जाता है। आज हम भी आपको एक ऐसे ही एक चमत्कारिक और रहस्यमयी मंदिर के बारें में बताने जा रहे है, जहां पर स्थापित एक कुंड का पानी हमेशा सफेद रहता है, लेकिन जैसे ही शहर पर या उसके आसपास के इलाके में कोई आपदा या कोई अनहोनी घटने वाले होती है, तो अचानक से ही इस कुंड का पानी पूरी तरह से काला या लाल पड़ जाता है। तो आइए जानते है आखिर ऐसा कौन सा मंदिर है और इसके पीछे का क्या रहस्य है।
कहां स्थित है मंदिर?
हम जिस मंदिर की बात कर रहे हैं वह खीर भवानी मंदिर, जो कश्मीर की घाटी में चिनार के पेड़ों से घिरा हुआ है। मान्यता है कि इस मंदिर की जड़े रामायण काल से जुड़ी हुई हैं। माता खीर भवानी मंदिर में दूर-दराज से श्रद्धालु मां दुर्गा के राग्या रूप के दर्शन करने के लिए यहां बड़ी संख्या में आते हैं और यहां के इस चमत्कार को देखकर वह भी हैरान हो जाते हैं। वैज्ञानिकों ने इस कुंड पर कई बार शोध भी किया है, लेकिन उन्हें इस कुंड में होने वाली चमत्कारी घटना के बारे में पता नहीं चला। यह जानकर आप सभी को हैरानी हो सकती है लेकिन यह सच है।
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आपदा आने का संदेश देता है खीर भवानी मंदिर:
माता खीर भवानी मंदिर को लेकर श्रद्धालुओं का ऐसा मानना है कि यह मंदिर दिव्य शक्तियों से परिपूर्ण है और यहां पर जो कुंड स्थित है, वह बहुत चमत्कारी है। जब भी कश्मीर के ऊपर संकट के काले बादल छाने लग जाते हैं, तब कुंड का पानी अपना रंग बदलने लगता है। कुंड का पानी काला या लाल पड़ जाता है।
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बता दें कि जब 2014 में भयंकर बाढ़ से कश्मीर प्रभावित हुआ था, तब लोगों का ऐसा बताना था कि इस कुंड का पानी काला पड़ गया था। वहीं दूसरी तरफ जब कारगिल युद्ध छिड़ गया था, तब इस कुंड का पानी लाल हो गया था। इतना ही नहीं बल्कि आर्टिकल 370 के हटने पर इस कुंड का पानी हरे रंग का हो गया था। ऐसा माना जाता है कि जब इस मंदिर के कुंड का पानी भरा हो जाता है, तो यह खुशहाली का संकेत देता है।
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खीर भवानी मंदिर की पौराणिक कथा
पौराणिक कथाओं के मुताबिक देखा जाए तो पहले खीर भवानी माता का मंदिर लंका में था और रावण देवी का परम भक्त था। परंतु जब रावण ने देवी सीता का हरण कर लिया और उन्हें लंका लेकर आया तो फिर भवानी देवी, रावण से बहुत ज्यादा नाराज हो गई थीं और वह लंका छोड़कर कश्मीर आ गई थीं।
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जब हनुमान जी सीता माता की तलाश में लंका आए, तो खीर भवानी माता ने उनसे कहा कि वह उनकी मूर्ति लंका के बजाय किसी और स्थान पर स्थापित कर दें। हनुमान जी ने देवी की बात मानकर उनकी प्रतिमा को कश्मीर के तुलमुल जगह पर स्थापित कर दिया।
खीर के भोग से माता होती हैं प्रसन्न: ऐसा माना जाता है कि खीर के भोग से माता प्रसन्न होती हैं और इस मंदिर में भक्तों को भी प्रसाद के रूप में खीर का ही प्रसाद बांटा जाता है। जो भी श्रद्धालु देवी खीर भवानी के दर्शन करने के लिए आता है वह उन्हें खीर का भोग लगाता है। ऐसा माना जाता है कि खीर का भोग लगाने से देवी खीर भवानी अपने भक्तों की सारी मनोकामनाएं पूरी कर देती हैं।