Janmashtami 2023 : आज पूरे देश में श्री कृष्ण जन्मोत्सव की धूम है। आज देशभर में राधाकृष्ण की प्रतिमाओं का विशेष श्रृंगार किया जाता है। भगवान श्रीकृष्ण (Lord Shrikrishna) और राधारानी की झाकियां सजाई जाती हैं। जन्माष्टमी के इस पावन पर्व पर आपको भगवान श्री कृष्ण के एक ऐसे मंदिर के बारे में बताने जा रहे। जहां राधा-कृष्ण का 100 करोड़ के बेशकीमती गहने से शृंगार किया जाता है। इस दिन (Janmashtami 2023) विशेष रूप से गहनों को बैंक से निकाला जाता है और उसे भगवान का शृंगार किया जाता है। तो चलिए जानते है किस जगह स्थित है यह मंदिर और इससे जुड़ी खासियत के बारे में….
Janmashtami 2023 : कहां स्थित हैं मंदिर
दरअसल हम जिस मंदिर की बात कर रहे है, वो ग्वालियर (Gwalior) के फूलबाग इलाके में बना 101 साल पुराना गोपाल मंदिर (Shri Krishna Temple) है। इस पुराने मंदिर में मौजूद राधा कृष्ण की मूर्तियों को जन्माष्टमी (Janmashtami 2023) पर खास जेवरातों से सजाया जाता है। प्रतिमाओं को रत्न जडित आभूषणों से सुसज्जित किया जाता है, जो एंटिक हैं और इनकी कीमत लगभग 100 करोड़ रुपये से भी ज्यादा है। हीरे-मोती, पन्ने जैसे बेशकीमती रत्नों से सुसज्जित भगवान के मुकुट और अन्य आभूषण हैं।
देश की आजादी से पहले तक भगवान इन जेवरातों से श्रृंगारित रहते थे, लेकिन देश आजाद होने के बाद से जेवरात बैंक के लॉकर में कैद पड़े थे। जो 2007 में नगर निगम की देखरेख में आए और तब से लेकर हर जन्माष्टमी पर राधा-कृष्ण की प्रतिमाओं को ये बेशकीमती जेवरात पहनाए जाते हैं, जन्माष्टमी के दिन सुरक्षा व्यवस्था के बीच इन जेवरातों को बैंक के लॉकर से निकलकर राधा और गोपाल जी का श्रृंगार किया जाता है।
101 साल पुराना है मंदिर
इस मौके पर मंदिर चौबीस घंटे लगातार खुला रहता है। ग्वालियर के फूलबाग इलाके में बना गोपाल मंदिर 101 साल पुराना है। इसे सिंधिया राजवंश ने बनवाया था। इस मंदिर में भगवान राधा कृष्ण की अदभुत प्रतिमाएं हैं। वैसे तो इस मंदिर में सालभर भक्तों का तांता लगा रहता है, लेकिन जन्माष्टमी के पर्व का भक्तों को सालभर इंतज़ार रहता है। 100 करोड़ के एंटीक गहने ग्वालियर के फूलबाग स्थित गोपाल मंदिर को भक्तों की आस्था का बड़ा केंद्र माना जाता है।
जन्माष्टमी पर 24 घंटे मनाया जाता है उत्सव
जन्माष्टमी के मौके पर तो गोपाल मंदिर पर 24 घंटे का उत्सव मनाया जाता है। जन्माष्टमी के दिन भगवान राधा-कृष्ण को 100 करोड़ रुपए से ज्यादा कीमत के गहनों से सजाया जाता है। ये रियासत कालीन जेवरात हैं जो हीरे-रत्न जड़ित हैं।
101 साल पुराना मंदिर
गोपाल मंदिर की स्थापना 1921 में ग्वालियर रियासत के तत्कालीन शासक माधवराव सिंधिया प्रथम ने करवाई थी। सिंधिया राजाओं ने भगवान राधा-कृष्ण् की पूजा के लिए चांदी के बर्तन बनवाए थे। साथ ही भगवान के श्रृंगार के लिए रत्तन जड़ित सोने के आभूषण बनवाए थे। इनमें राधा कृष्ण के लिए 55 पन्नों और सात लड़ी का हार, सोने की बांसुरी, सोने की नथ, जंजीर और चांदी के पूजा के बर्तन हैं।
ये जेवरात पहनते हैं राधाकृष्ण
हीरे-जवाहरात से जड़ा स्वर्ण मुकुट
– पन्ना और सोने का सात लड़ी का हार
– 249 शुद्ध मोती की माला
– हीरे जडे कंगन
– हीरे व सोने की बांसुरी
– प्रतिमा का विशालकाय चांदी का छत्र
– 50 किलो चांदी के बर्तन
– भगवान श्रीकृष्ण और राधा के झुमके
– सोने की नथ, कंठी, चूडियां, कड़े
50 साल लॉकर में रहे जेवरात
रियासतकालीन दौर में भगवान राधाकृष्ण हमेशा ही इन गहनों से सजे रहते थे। आज़ादी के बाद 1956 में जब मध्य प्रदेश राज्य बना तब भगवान के एंटीक गहनों को बैंक के लॉकर में रख दिया गया. पचास साल तक लॉकर में गहने सुरक्षित रहे. साल 2007 में तत्कालीन महापौर ने सरकार से बात कर साल में एक दिन जन्माष्टमी पर इन गहनों से भगवान का श्रृंगार करने की मांग की, सरकार की रजामंदी के बाद हर साल जन्माष्टमी के दिन इन गहनों को सुरक्षा व्यवस्था के बीच बैंक से निकाला जाता है। गहनों को पहनकर भगवान राधा कृष्ण 24 घंटे सजीले स्वरूप में दर्शन देते हैं। श्रद्धालु कहते हैं जन्माष्टमी के दिन गोपाल मंदिर में मथुरा जैसा अहसास होता है।
24 घंटे कड़े पहरे में रहते है भगवान
राधा कृष्ण जन्माष्टमी पर क्योंकि गोपाल मंदिर में राधा कृष्ण की मूर्ति करोंड़ों रुपये के गहने से सजायी जाती हैं इसलिए उनकी सुरक्षा के लिए मंदिर पर कड़ा पहरा बैठाया जाता है. करीब डेढ़ सौ से ज्यादा सुरक्षाकर्मी मंदिर के गहनों और भक्तों की सुरक्षा के लिए तैनात रहते हैं. साथ ही सीसीटीवी कैमरों की मदद से मंदिर और आसपास के परिसर में पुलिस की निगरानी रहती है. इस तामझाम के बीच लोग आस्था के साथ राधाकृष्ण के सजीले रूप के दर्शन कर मन्नत मांगने आते हैं।
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