Thursday, September 19, 2024
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Jagannath Puri Rath Yatra 2023 : जितना खूबसूरत है उतना ही रहस्यमयी भी है पुरी का जगन्नाथ मंदिर, वैज्ञानिक भी नहीं सुलझा पाए इसके रहस्य

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Jagannath Puri Rath Yatra 2023 : वैसे तो भारत के बहुत सारे मंदिरों के साथ कई रहस्य जुड़े हुए हैं, लेकिन पुरी के जगन्नाथ मंदिर से जुड़े रहस्य बहुत ही अद्भुत हैं और हैरान करने वाले। जगन्नाथ पुरी (Jagannath Puri Rath Yatra 2023) भारत के चार धामों (बद्रीनाथ धाम,जगन्नाथ धाम, द्वारिका धाम व रामेश्वर) में से एक है। बद्रीनाथ धाम को जहां जगत के पालनहार भगवान विष्णु का आंठवां बैकुंठ माना जाता है, वहीं जगन्नाथ धाम को भी धरती के बैकुंठ स्वरूप माना गया है। जगन्नाथ पुरी जितना खूबसूरत है उतना ही रहस्यमयी भी। समुद्र के किनारे बना यह मंदिर अपने अंदर कई दैवीय चमत्कारों को समेटे हुए है, यहां विज्ञान के कई नियम भी काम नहीं करते हैं। भगवान जगन्नाथ के इस मंदिर पर जाकर कोई भी इन आश्चर्यों को देख सकता है, लेकिन अनेक प्रयासों के बावजूद अब तक इन रहस्यों से पर्दा नहीं उठा सका है। आइए जानते है यहां के प्रमुख रहस्यों के बारे में….

आज से पुरी की विश्व प्रसिद्ध भगवान जगन्नाथ की रथयात्रा (Jagannath Puri Rath Yatra 2023) शुरू हो चुकी है। जगत के नाथ यहां अपने बड़े भाई बलभद्र और बहन सुभद्रा के साथ विराजते हैं। तीनों ही देव प्रतिमाएं काष्ठ की बनी हुई हैं। इन मूर्तियों को हर बारह वर्ष बाद बदले जाने का विधान है, पवित्र वृक्ष की लकड़ियों से पुनः मूर्तियों की प्रतिकृति बना कर फिर से उन्हें एक बड़े आयोजन के साथ प्रतिष्ठित किया जाता है।

वेदों के अनुसार भगवान हलधर ऋग्वेद स्वरुप हैं, श्री हरि (नृसिंह) सामदेव स्वरुप हैं, सुभद्रा देवी यजुर्वेद की मूर्ति हैं और सुदर्शन चक्र अथर्ववेद का स्वरुप माना गया है। वैसे तो भारत के बहुत सारे मंदिरों के साथ आश्चर्य जुड़े हुए हैं, लेकिन जगन्नाथ मंदिर से जुड़े आश्चर्य बहुत ही अद्भुत हैं।

Jagannath Puri Rath Yatra 2023 : जगन्नाथ पुरी मंदिर के रहस्य…

जगन्नाथ पुरी जितना खूबसूरत है उतना ही रहस्यमयी भी। समुद्र के किनारे बना यह मंदिर अपने अंदर कई दैवीय चमत्कारों को समेटे हुए है, यहां विज्ञान के कई नियम भी काम नहीं करते हैं। भगवान जगन्नाथ के इस मंदिर पर जाकर कोई भी इन आश्चर्यों को देख सकता है, लेकिन अनेक प्रयासों के बावजूद अब तक इन रहस्यों से पर्दा नहीं उठा सका है, यहां के प्रमुख रहस्यों में से कुछ इस प्रकार हैं…

1- शिखर की ध्वजा : हवा के खिलाफ लहराती है

मंदिर के शिखर पर स्थित ध्वज हमेशा हवा की विपरीत दिशा में लहराता है। ऐसा क्यों होता है यह एक रहस्य ही बना हुआ है। एक और अद्भुत बात इस ध्वज से जुड़ी है वह यह कि इसे हर रोज बदला जाता है और बदलने वाला भी उल्टा चढ़कर ध्वजा तक पंहुचता है।

2- हवा का रुख है उल्टा

अक्सर समुद्री इलाकों में हवा का रुख दिन के समय समुद्र से धरती की तरफ होता है जब कि शाम को उसका रुख बदल जाता है वह धरती से समुद्र की ओर बहने लगती है लेकिन यहां भगवान जगन्नाथ की माया इसे उल्टा कर देती है और दिन में धरती से समुद्र की ओर व शाम को हवा समुद्र से मंदिर की ओर बहती है यानि धरती की ओर हवा का बहाव होता है।

3- सुदर्शन चक्र : हर जगह से दिखता है सीधा

मंदिर के शिखर पर ही अष्टधातु निर्मित सुदर्शन चक्र है। इस चक्र को नील चक्र भी कहा जाता है और मान्यता के अनुसार इसके दर्शन करना बहुत ही शुभ माना जाता है। इसकी खास बात यह है कि यदि आप किसी भी कोने से खड़े होकर किसी भी दिशा से इस चक्र को देखेंगें तो वह हमेशा आपके सामने बिल्कुल सीधा ही नज़र आएगा।

4- मंदिर का शिखर : नहीं उड़ता है कोई विमान और पक्षी

जगन्नाथ मंदिर की यह बात आपको आश्चर्य में डाल देगी कि मंदिर के शिखर के ऊपर से न तो कभी कोई विमान गुज़रता है और न ही इसके ऊपर कभी कोई पक्षी बैठता या उड़ता हुआ नजर आता है।

5- दुनिया की सबसे बड़ी रसोई

श्री जगन्नाथ के मंदिर में स्थित रसोई दुनिया की सबसे बड़ी रसोई मानी जाती है। इसमें एक साथ 500 के करीब रसोइये और 300 के आस-पास सहयोगी भगवान के प्रसाद को तैयार करते हैं। मंदिर में प्रवेश से पहले दाईं तरफ आनंद बाज़ार और बाईं तरफ महा प्रभु श्री जगन्नाथ मंदिर की पवित्र और विशाल रसोई है। इस रसोई में प्रसाद पकाने के लिए सात बर्तन एक दूसरे के ऊपर रखे जाते हैं।

यह प्रसाद मिटटी के बर्तनों में लकड़ी पर ही पकाया जाता है,पर आश्चर्य की बात यह है कि इस दौरान सबसे ऊपर रखे बर्तन का पकवान सबसे पहले पकता है फिर नीचे की तरफ से एक के बाद एक प्रसाद पकता जाता है। मंदिर के इस प्रसाद को रोज़ाना करीब 25000 से ज़्यादा भक्त ग्रहण करते हैं।विशेष बात तो यह है कि यहां न तो प्रसाद बचता है और न ही कभी कम पड़ता है।

6- मंदिर में कदम : नहीं सुनाई देती लहरों की आवाज

यह भी किसी रहस्य से कम आपको नहीं लगेगा कि मंदिर के सिंहद्वार से एक कदम आप अंदर रखें तो आपको समुद्र की लहरों की आवाज नहीं सुनाई देगी, विशेषकर शाम के समय आप इस अद्भुत अनुभव को बहुत अच्छे से महसूस कर सकते हैं। लेकिन जैसे ही मंदिर से बाहर कदम निकाला कि आपको सपष्ट रुप से लहरों की आवाज सुनाई देगी।

7- विज्ञान के इस नियम को चुनौती : नहीं पड़ती है परछाई

विज्ञान के इस नियम को तो आप जरूर जानते ही होंगे कि जिस वस्तु पर भी रोशनी पड़ेगी उसकी छाया भले ही आकार में छोटी या बड़ी बने, बनेगी जरुर। लेकिन सृष्टि के पालनहार भगवान जगन्नाथ के मंदिर का ऊपरी हिस्सा विज्ञान के इस नियम को चुनौती देता है क्योंकि दिन के किसी भी समय इसकी परछाई नजर नहीं आती।

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