किसी भी इंसान की पहली गुरु उसकी माँ होती है, लेकिन माँ के बाद की शिक्षा-दीक्षा एक गुरु ही करता है जो की जीवन के लिए अतिमहत्वपूर्ण हैं ।गुरु ही है जो जीवन के भवसागर को पार लगाने वाली शिक्षा दे सकता है। यहाँ तक की गुरु के ज्ञान से ईश्वर के दर्शन तक संभव हैं। शायद तभी मानव ने क्रमिक विकास किया क्यूंकि माँ के अलावा भी उसके पास गुरु थे, जो की अन्य जीवों के पास न थे। हिन्दू धर्म में गुरु के महिमा का वर्णन ईश्वर से भी बढ़ चढ़कर किया गया है और गुरु की याद में यह दिन भी मनाया जाता है जिसे हम गुरु पूर्णिमा कहते हैं। आज गुरु पूर्णिमा का पर्व है, तो आइए जानते है कि गुरु की पूजा की परंपरा को किसने शुरू की थी, गुरु पूर्णिमा का का क्या महत्व है और इस बार की पूर्णिमा खास क्यों है।
क्यों मनाई जाती है गुरु पूर्णिमा? why is guru purnima celebrated:
आषाढ़ मास की पूर्णिमा को समस्त मानव जाति के गुरु कहे जाने वाले व महाभारत ग्रन्थ के रचयिता वेदव्यास जन्म आज से लगभग 3000 ई.पू. हुआ था। आचार्य वेदव्यास को समस्त मानव जाति का गुरु माना जाता है और उनके जन्मदिवस के उपलक्ष्य में गुरु पूर्णिमा (Guru Purnima) का दिन मनाया जाता है। यह भी कहा जाता है की इसी दिन व्यासजी ने अपने अपने शिष्यों तथा ऋषि मुनियों को श्रीमद्भागवत का ज्ञान दिया था।
गुरु की पूजा की परंपरा को किसने शुरू की थी?
वेदव्यास जी के आश्रम में उनके छात्र निशुल्क अध्ययन करते थे जिनमें से उनके पांच शिष्यों ने सर्वप्रथम इन दिनों में उनकी पूजा की थी उन्हें ऊँचे आसान में बैठकर उन्हें पुष्प अर्पित किये व उन्हें ग्रन्थ भी अर्पित किये थे।
2022 की गुरु पूर्णिमा क्यों खास है?
13 जुलाई को पड़ने वाली गुरु पूर्णिमा पर ग्रह-नक्षत्रों के हिसाब से बेहद खास योग बन रही है। इस दिन मंगल, बुध, गुरु और शनि की स्थिति राजयोग बना रही है. गुरु पूर्णिमा के दिन रुचक, भद्र, हंस और शश नामक 4 राजयोग पड़ रहे हैं। इसके अलावा कई सालों बाद सूर्य-बुध की युति इस दिन बुधादित्य योग भी बन रहा है।
गुरु पूर्णिमा का अधिक महत्व क्यों है?
गुरु पूर्णिमा को वर्षभर की सभी पूर्णिमाओं से श्रेष्ठ माना गया है। इस एकमात्र पूर्णिमा का पालन करने मात्र से वर्षभर की सभी पूर्णिमा का लाभ मिल जाता है। तथा इस दिन हम अपने सभी गुरुओं माता-पिता, शिक्षकों, धर्म गुरुओं, आध्यात्मिक गुरुओं के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करते हैं।