Sunday, December 15, 2024
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Solar Eclipse 2022 : साल का आखिरी सूर्यग्रहण आज, इन बातों का रखें विशेष ध्यान

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Solar Eclipse 2022 : साल 2022 का अंतिम सूर्य ग्रहण आज 25 अक्टूबर को लगने जा रहा है, जो भारत समेत दुनिया के कई हिस्सों में देखा जाएगा। भारत में यह ग्रहण आंशिक होगा। आज के सूर्य ग्रहण का सूतक काल प्रात: 03 बजकर 17 मिनट से शुरू हो गया है। सूर्य ग्रहण के समापन के साथ ही सूतक काल का समापन होगा। सूतक काल के दौरान कई चीजों का विशेष ध्यान रखना जरुरी है। आइए जानते है सूर्य ग्रहण से जुड़ी खास बातें…

  • ग्रहण काल – 25 अक्टूबर शाम 04:30 से  06:06 तक
  • सूतक काल – 25 अक्टूबर प्रातः 04:30 से ग्रहण समाप्त होने तक

सूतक से पहले उपयोगी तुलसी पत्ता तोड़ने का समय- 24 अक्टूबर सोमवार को सूर्योदय के बाद 11:45 के बीच तुलसी पत्ता तोड़ के रख सकते हैं, इसके बाद तुलसी पत्ता तोड़ना निषेध है ।

तुलसी पत्ते न हो तो कुश या तिल भी उपयोग कर सकते हैं ।

इन बातों का रखें ध्यान

  • सूर्यग्रहण के समय संयम रखकर जप-ध्यान करने से करोड़ गुना फल होता है।
  • श्रेष्ठ साधक उस समय उपवासपूर्वकॐ नमो नारायणाय’ मंत्र का ‘ जप’ करने के बाद ग्रहणशुद्धि होने पर उस घृत को पी ले।
  • सूर्यग्रहण में ग्रहण से चार प्रहर (12 घंटे) पूर्व भोजन नहीं करना चाहिए।
  • बूढ़े, बालक और रोगी डेढ़ प्रहर (साढ़े चार घंटे) पूर्व तक खा सकते हैं।
  • ग्रहण के समय भोजन करने वाला मनुष्य जितने अन्न के दाने खाता है, उतने वर्षों तक ‘अरुन्तुद’ नरक में वास करता है।
  • सूतक से पहले पानी में कुशा, तिल या तुलसी-पत्र डाल के रखें ताकि सूतक काल में उसे उपयोग में ला सकें।
  • ग्रहणकाल में रखे गये पानी का उपयोग ग्रहण के बाद नहीं करना चाहिए किंतु जिन्हें यह सम्भव न हो वे उपरोक्तानुसार कुशा आदि डालकर रखे पानी को उपयोग में ला सकते हैं।
  • ग्रहण-वेध के पहले जिन पदार्थों में कुश या तुलसी की पत्तियाँ डाल दी जाती हैं, वे पदार्थ दूषित नहीं होते।
  • पके हुए अन्न का त्याग करके उसे गाय, कुत्ते को डालकर नया भोजन बनाना चाहिए।
  • ग्रहण वेध के प्रारम्भ में तिल या कुश मिश्रित जल का उपयोग भी अत्यावश्यक परिस्थिति में ही करना चाहिए और ग्रहण शुरू होने से अंत तक अन्न या जल नहीं लेना चाहिए।
  • ग्रहण पूरा होने पर स्नान के बाद सूर्य या चन्द्र, जिसका ग्रहण हो उसका शुद्ध बिम्ब देखकर अर्घ्य दे कर भोजन करना चाहिए।
  • ग्रहणकाल में स्पर्श किये हुए वस्त्र आदि की शुद्धि के लिए बाद में उसे धो देना चाहिए और स्वयं भी वस्त्रसहित स्नान करना चाहिए। स्त्रियाँ सिर धोये बिना भी स्नान कर सकती हैं।
  • ग्रहण के स्नान में कोई मंत्र नहीं बोलना चाहिए।
  • ग्रहण के समय गायों को घास, पक्षियों को अन्न, जरूरतमंदों को वस्त्रदान से अनेक गुना पुण्य प्राप्त होता है।
  • ग्रहण के दिन पत्ते, तिनके, लकड़ी और फूल नहीं तोड़ने चाहिए । बाल तथा वस्त्र नहीं निचोड़ने चाहिए व दंतधावन नहीं करना चाहिए।
  • ग्रहण के समय ताला खोलना, सोना, मल-मूत्र का त्याग, मैथुन और भोजन– ये सब कार्य वर्जित हैं।
  • ग्रहण के समय कोई भी शुभ व नया कार्य शुरू नहीं करना चाहिए।
  • ग्रहण के समय सोने से रोगी, लघुशंका करने से दरिद्र, मल त्यागने से कीड़ा, स्त्री प्रसंग करने से सूअर और उबटन लगाने से व्यक्ति कोढ़ी होता है। गर्भवती महिला को ग्रहण के समय विशेष सावधान रहना चाहिए।
  • भगवान वेदव्यासजी ने परम हितकारी वचन कहे हैं – सामान्य दिन से सूर्यग्रहण में किया गया पुण्यकर्म (जप, ध्यान, दान आदि) दस लाख गुना यदि गंगाजल पास में हो तो सूर्यग्रहण में 10 करोड़ गुना फलदायी होता है ।
  • ग्रहण के समय गुरुमंत्र, इष्टमंत्र अथवा भगवन्नाम-जप अवश्य करें, न करने से मंत्र को मलिनता प्राप्त होती है।
  • ग्रहण के समय उपयोग किया हुआ आसान, माला, गोमुखी ग्रहण पूरा होने के बाद गंगा जल में धो लेना चाहिए।
  • ग्रहण के अवसर पर दूसरे का अन्न खाने से बारह वर्षों का एकत्र किया हुआ सब पुण्य नष्ट हो जाता है । (स्कन्द पुराण)
  • ग्रहण के अवसर पर पृथ्वी को खोदना नहीं चाहिए। (देवी भागवत)

आनंदवन से डॉ मनोज त्रिपाठी

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