वाराणसी। शारदीय नवरात्र (Shardiya Navratri) के दूसरे दिन माता ब्रह्मचारिणीं देवी (Brahmacharini Devi) के दर्शन का विधान है। माता का अतिप्राचीन मंदिर गंगा तट पर ब्रह्माघाट पर स्थित है। श्रद्धालु संकरी गलियों में अर्द्धरात्रि के बाद से ही कतारबद्ध हो गए थे। मंगला आरती के बाद से माता के जयकारे से मंदिर परिसर गूँज रहा है। मान्यता है कि मां ब्रह्मचारिणी के दर्शन से संतान की प्राप्ति होती है और साथ ही साथ मां धन-धन्य से परिपूर्ण करती हैं। इसके अलावा पढ़ाई में कमजोर विद्यार्थियों को माता ब्रह्मचारिणीं का नियमित दर्शन करना चाहिए।
Brahmacharini Devi : दर्शन से पूरी होती है सभी मनोकामना
मंदिर के महंत पंडित राजेश्वर सागरकर ने बताया कि अश्विन नवरात्र के दूसरे दिन देवी ब्रह्मचारिणीं के दर्शन का विधान है। काशी में यह दर्शन-पूजन अति प्राचीन काल से इस मंदिर में चला आ रहा है। माता सभी मनोकामनाएं पूरी करती हैं। विशेष कर कहा गया है कि जो विद्यार्थी पढ़ाई में कमजोर हैं वो माता का नियमित दर्शन और श्लोक का पाठ करें तो उन्हें अवश्य लाभ मिलेगा और उनकी अच्छी नौकरी भी लग जाएगी।
दर्शन करने पहुंचे श्रद्धालुओं में से एक राजेश्वरी देवी ने कहा कि वो हमेशा दर्शन को आती हैं। माता से कोई मन्नत नहीं मांगनी बस नवरात्र में उनका दर्शन मिले यही सौभाग्य की बात है। वहीं लहरतारा से आयी एक अन्य श्रद्धालु ने बताया कि नवरात्र के दूसरे दिन कई वर्षों से यहां दर्शन को आती हैं और अपने परिवार की सुख और समृद्धि के लिए प्रार्थना करती हैं।