वाराणसी। शक्ति की आराधना के पर्व चैत्र नवरात्रि (Chaitra Navratri) के तीसरे दिन माता चंद्रघंटा के दर्शन-पूजन का विधान है। चौक क्षेत्र में माता का अतिप्राचीन मंदिर मौजूद है जहां मंगला आरती के बाद से ही श्रद्धालु दर्शन-पूजन के लिए पहुंच रहे हैं। माता चंद्रघंटा की एक झलक पाने के लिए श्रद्धालु देर रात से ही कतारबद्ध दिखे।
मंदिर के पुजारी वैभव योगेश्वर ने बताया कि माता चंद्रघंटा धन,ऐश्वर्य, शक्ति और मोक्ष की देवी हैं। ऐसी मान्यता है कि नवरात्रि में देवी के पूजा और दर्शन मात्र से शत्रुओं का नाश होता है और देवी सभी तरह की भय और बाधा से मुक्ति भी दिलाती हैं। इनकी कृपा से भक्त इस संसार में सभी प्रकार के सुख प्राप्त कर मृत्यु के पश्चात मोक्ष को प्राप्त करता हैं। देवी चन्द्रघंटा की भक्ति से आध्यात्मिक और आत्मिक शक्ति प्राप्त होती है।
उन्होंने बताया कि माता चंद्रघंटा की दस भुजाएं हैं जिसमें अस्त्र-शास्त्र सुशोभित हैं। मस्तक पर घंटे के आकार का अर्धचंद्र विद्यमान है इसलिए उन्होंने चंद्रघंटा कहा जाता हैं। इनके शरीर का रंग सोने के समान चमकीला है। इनका वाहन सिंह है, जो वीरता और शक्ति का प्रतीक हैं।
मां दुर्गा चंद्रघंटा रूप बेहद ही सुंदर, मोहक और अलौकिक है। चंद्र के समान सुंदर मां के इस रूप से दिव्य सुगंधियों और दिव्य ध्वनियों का आभास होता है। मां का यह स्वरूप परम शांतिदायक और कल्याणकारी है। माता चंद्रघंटा धन,ऐश्वर्य, शक्ति और मोक्ष की देवी हैं।