Sawan 2023 : हिन्दू धर्म में सावन महीने का बहुत ही महत्व है। आज 4 जुलाई से सावन महीना (Sawan 2023) शुरू हो रहा है, जो 31 अगस्त तक चलेगा। भगवान शिव को सावन का महीना अत्यन्त प्रिय है। सावन का महीना शिव भक्तों के लिए भी सबसे महत्वपूर्ण महीना माना जाता है। ऐसी मान्यता है कि श्रावण महीने में भगवान शिव की प्रेमपूर्वक भाव से अगर पूजा जाए तो भगवान शिव आपकी हर मनोकामना जरूर पूरी करतें हैं। शिव पुराण के अनुसार सावन मास में भगवान शिव (lord Shiva) और माता पार्वती (Goddess Parvati) पृथ्वीलोक पर निवास करते हैं, लकेिन क्या आप जानते हैं कि भगवान शिव को सावन का महीना इतना प्रिय क्यों है? आइए जानते हैं।
पृथ्वीलोक की रक्षा के लिए भगवान शिव ने पिया था जहर
सावन का महीना (Sawan 2023) कई कारणों से भगवान शिव को प्रिय है। इसके पीछे कई पौराणिक कथा है। हिंदू पौराणिक कथा के अनुसार सावन के महीने में समुद्र मंथन हुआ था। इस मंथन से विष निकला तो चारों तरफ हाहाकार मच गया। पृथ्वी लोक की रक्षा करने के लिए भगवान शिव ने विष को पी लिया। विष की वजह से कंठ नीला पड़ जिसे नीलकंठ कहा गया। विष का प्रभाव कम करने के लिए सभी देवी-देवताओं ने भगवान शिव को जल अर्पित किया, जिससे उन्हें राहत मिली। इससे वे प्रसन्न हुए। तभी से हर वर्ष सावन मास में भगवान शिव को जल अर्पित करने या उनका जलाभिषेक करने की परंपरा बन गई।
भगवान शिव ने पार्वती को पत्नी के रूप में किया था स्वीकार
भगवान शिव की पत्नी माता सती ने शिव को हर जन्म में पति के रूप में पाने तपस्या की थी। सती ने अपने दूसरे रूप में हिमालयराज के घर पार्वती के रूप में जन्म लिया था। शिव जी को पति रूप में पाने के लिए माता पार्वती ने सावन मास में कठोर तपस्या की थी। शिव जी का विवाह इसी माह में हुआ था, इसीलिए भगवान शिव को सावन माह बहुत प्रिय है। इसके अलावा सावन मास में भगवान शिव अपने ससुराल आए थे, जहां पर उनका अभिषेक करके धूमधाम से स्वागत किया गया था।
श्रावण मास में ऐसे करें भगवान शिव की आराधना
पूजा विधि-
भगवान शिव को स्वच्छता अति प्रिय है, इसलिए साफ सफाई का खास ध्यान रखें।
सुबह सबसे पहले जल्दी उठकर स्नान कर लें और स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
घर में बने पूजा स्थान को साफ करें।
भगवान शिव की प्रतिमा स्थापित करने के बाद भगवान शिव का जल से अभिषेक करें।
अगर आप घर में पूजा कर रहे हैं या मंदिर जा रहे हैं तो शिवलिंग पर गंगाजल और दूध अवश्य चढ़ाएं।
इसके बाद शिवलिंग पर फूल चढ़ाएं, बेलपत्र चढ़ाएं और चंदन लगाकर उनकी आरती करें।
हिंदी कैलेंडर के अनुसार सावन पांचवां महीना होता है।
श्रावण मास में भूल से भी ना करें ये कार्य
शरीर पर तेल नहीं लगाना चाहिए
कांसे के बर्तन में नहीं खाना चाहिए।
पूजा के समय में शिवलिंग पर हल्दी न चढ़ाएं।
सावन के महीने में दूध का सेवन अच्छा नहीं होता है।
सावन के महीने में दिन के समय नहीं सोना चाहिए।
सावन के महीने में बैंगन नहीं खाना चाहिए। बैंगन को अशुद्ध माना गया है।
भगवान शिव को केतकी का फूल भूल कर भी न चढ़ाएं।