Thursday, September 19, 2024
spot_img
spot_img
HomeDharmaDev Uthani Ekadashi : जानें कब है देवउठनी एकादशी, क्या है शुभ...

Dev Uthani Ekadashi : जानें कब है देवउठनी एकादशी, क्या है शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और महत्व

spot_img
spot_img
spot_img

Dev uthani Ekadashi : कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष को देवउठनी एकादशी का पर्व मनाया जाता है, इसका हिंदू धर्म में विशेष महत्व है, इसे देवोत्थान एकादशी, देव प्रभोदिनी एकादशी, देवउठनी ग्यारस के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन देवउठनी एकादशी के दिन तुलसी-सालिग्राम का विवाह होता है और मांगलिक कार्यों की शुरुआत होती है। मान्याता है कि इस दिन भगवान विष्णु 4 महीने शयन के बाद जागते हैं। आइए जानते है कि इस साल देवउठनी एकादशी कब पड़ रही है, इसकी तिथि शुभ मुहूर्त महत्व व पौराणिक कथा क्या है।

देवउठनी एकादशी की मान्यता

मान्यताओं के अनुसार, भगवान विष्णु आषाढ़ शुक्ल एकादशी को चार माह के लिए सो जाते हैं और कार्तिक शुक्ल एकादशी को जागते हैं। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार श्रीहरि विष्णु इसी दिन राजा बलि के राज्य से चातुर्मास का विश्राम पूरा करके बैकुंठ लौटे थे।

देवउठनी एकादशी का शुभ मुहूर्त

हिंदू पंचांग के अनुसार देवउठनी एकादशी तिथि तीन नवंबर को शाम सात बजकर 30 मिनट पर प्रारंभ होगी। देवउत्थान एकादशी तिथि का समापन चार नवंबर को शाम छह बजकर आठ मिनट पर होगा। उदया तिथि के अनुसार देवउठनी एकादशी चार नवंबर को मनाई जाएगी।

एकादशी तिथि प्रारम्भ – नवम्बर 03, 2022 को शाम  07 बजकर 30 मिनट से शुरू
एकादशी तिथि समाप्त – नवम्बर 04, 2022 को शाम 06 बजकर 08 मिनट पर खत्म
पारण (व्रत तोड़ने का) समय – नवम्बर 05, 2022 को सुबह 06 बजकर 41 मिनट से 08 बजकर 57 मिनट पर

देवउठनी एकादशी की पौराणिक कथा

देवउठनी एकादशी के संबंध में एक पौराणिक कथा काफी प्रचलित है, जिसके अनुसार एक बार माता लक्ष्मी भगवान विष्णु से पूछती हैं कि स्वामी आप रात-दिन जगते ही हैं या फिर लाखों-करोड़ों वर्ष तक योग निद्रा में ही रहते हैं। आपके ऐसा करने से संसार के सभी प्राणियों को कई परेशानियों का सामना करना पड़ता है। मां लक्ष्मी ने भगवान विष्षु से कहा कि आपसे अनुरोध है कि आप नियम से हर साल निद्रा लिया करें, इससे मुझे भी कुछ समय विश्राम करने का समय मिल जाएगा।

लक्ष्मी जी की बात सुनकर विष्णु जी मुस्कुराए और बोले- ‘देवी! तुमने ठीक कहा, मेरे जागने से सब देवों और खासकर तुमको कष्ट होता है और मेरे कारण तुमको जरा भी आराम नहीं मिलता। तो मैं तुम्हारे कहे अनुसार हर वर्ष 4 महीने बारिश के मौसम में सो जाया करूंगा। मेरी यह निद्रा अल्पनिद्रा और प्रलय कालीन महानिद्रा कहलाएगी। मेरी यह अल्पनिद्रा मेरे भक्तों के लिए परम मंगलकारी होगी। इस काल में जो भी भक्त मेरे शयन की भावना कर मेरी सेवा करेंगे और शयन और उत्थान के उत्सव को आनंदपूर्वक आयोजित करेंगे उनके घर में, मैं आपके साथ निवास करूंगा।

देवउठनी एकादशी पूजा विधि (Puja Vidhi)

दशमी तिथि के दिन से ही लहसुन, प्याज सहित तामसिक भोजन का त्याग कर देना चाहिए। इसके अगले दिन एकादशी को ब्रह्म मुहूर्त में उठे। नित्य कर्मों से निवृत होकर पानी में गंगाजल मिलाकर स्नान करें। इसके बाद व्रत का संकल्प लें। अब सूर्यदेव को जल अर्घ्य दें। इसके बाद श्री हरि विष्णु की पूजा फल, फूल, धूप, दीप, कपूर, बाती, पीले मिष्ठान्न आदि से करें। अंत में आरती करें। दिनभर उपवास रखें और संध्याकाल में आरती करने के बाद फलाहार करें। दिन में एक बार फल और जल ग्रहण कर सकते हैं। 5 नवंबर को नित्य दिनों की तरह ही पूजा कर पारण कर सकते हैं। इसके ब्राह्मणों और जरूरतमंदों को अन्न दान कर भोजन ग्रहण करें।

spot_img
RELATED ARTICLES

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

- Advertisment -spot_img

Most Popular

spot_img

Recent Comments

Ankita Yadav on Kavya Rang : गजल