Ganga Dussehra 2023 : ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को गंगा दशहरा (Ganga Dussehra 2023) का पावन पर्व मनाया जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, ज्येष्ठ शुक्ल दशमी को मां गंगा का पृथ्वी पर अवतरण हुआ था। उन्होंने राजा भगीरथ के पूर्वजों का उद्धार किया, जिससे उन्हें मोक्ष की प्राप्ति हुई। इस दिन को हम गंगावतरण के नाम से भी जानते हैं। इस बार ज्येष्ठ शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि 30 मई मंगलवार को गंगा दशहरा का पर्व मनाया जाएगा। वहीं इस दिन स्नान दान का विशेष महत्व होता है। आइए जानते गंगा दशहरा पर किस चीज के दान से पुण्यफल की प्राप्ति होती है।
Ganga Dussehra 2023 : बन रहे ये योग
प्रसिद्ध ज्योतिषविद् के मुताबिक धर्मशास्त्रों में इस पर्व (Ganga Dussehra 2023) तिथि के निर्णायक वाक्य के अनुसार पूर्वाह्न व्यापिनी दशमी तिथि के दिन 1- ज्येष्ठ मास, 2- शुक्ल पक्ष, 3- दशमी तिथि, 4- बुधवार,5- हस्त नक्षत्र, 6- व्यतिपात, 7- गर करण,8- आनंद योग, 9- वृष राषि का सूर्य,10- कन्या राशि का चन्द्रमा है। ऐसी मान्यता है कि जिस दिन इन दस योगों में से अधिक योग का संयोग होगा, उसी दिन गंगा दशहरा संबंधित स्नान-दान-पूजा-अर्चना, व्रत आदि करने का विशेष महत्व है।
जानें गंगा दशहरा का शुभ मुहूर्त
इस बार ज्येष्ठ शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि 30 मई मंगलवार को पूर्वाह्न व्यापिनी है जिसमें छह योग मिल रहा है। ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष पूर्वाह्न व्यापिनी दशमी तिथि 30 मई को मिल रही है। इसी दिन गंगा दशहरा का पर्व मनाया जायेगा। ज्येष्ठ शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि 29 मई सोमवार को दिन में 11.50 मिनट पर लगेगी जो कि अगले दिन 30 मई मंगलवार को दिन में 1.09 मिनट तक रहेगी।
इस दिन स्नान-दान से दस जन्मों के पापों से मिलती है मुक्ति
पं. विमल जैन के मुताबिक गंगा दशहरा (Ganga Dussehra 2023) के पावन पर्व पर गंगा स्नान करने से दस जन्मों के पापों से मुक्ति मिलती है जिसमें तीन प्रकार कायिक (शारीरिक) चार प्रकार के वाचिक, तीन प्रकार के मानसिक दोषों का शमन होता है। इस दिन गंगाजी को पंचोपचार या षोडसोपचार पूजा करनी चाहिए। पूजा के अन्तर्गत दस प्रकार के फूल अर्पित करके दस प्रकार के नैवेद्य, दस प्रकार के ऋतुफल, दस तांबूल, दशांग, धूप के साथ दस दीपक प्रज्जवलित करना चाहिए। गंगा अवतरण से संबंधित कथा का श्रवण, गंगा स्तुति व गंगा स्त्रोत का पाठ करना चाहिए।
इन चीजों के दान से मिलता है पुण्य फल
इस दिन गंगा स्नान करने के पश्चात दस ब्राह्मणों को 10 सेर तिल, 10 सेर जौ, 10 सेर गेहूं दक्षिणा के साथ दान करने से जीवन में अनंत पुण्यफल की प्राप्ति होती है। इस दिन रात्रि जागरण का भी बहुत महत्व है।
अपनी दिनचर्या शुचिता के साथ नियमित व संयमित रखते हुए गंगा दशहरा का पावन पर्व हर्ष व उमंग के साथ मनाने से जीवन में सुख-समृद्धि व खुशहाली मिलती है। धार्मिक व पौराणिक मान्यता के अनुसार काशी में दशाश्वमेधघाट पर गंगा स्नान करने के पश्चात दशाश्वमेधेश्वर महादेव का दर्शन-पूजन करने की विशेष महत्ता है।
राजा भागीरथ की तपस्या से पृथ्वी पर आयी गंगा
भागीरथ एक प्रतापी राजा थे। अपने पूर्वजों को जीवन-मरण के दोष से मुक्त करने के लिए तथा गंगा को पृथ्वी पर लाने के लिए उन्होंने कठोर तपस्या आरं•ा की। गंगा उनकी तपस्या से प्रसन्न हुई और स्वर्ग से पृथ्वी पर आने के लिए तैयार हो गई। लेकिन उन्होंने राजा भागीरथ से कहा कि यदि वे सीधी पृथ्वी पर आयेंगी तो उनका वेग कोई सहन नहीं कर पायेगा। तब राजा भागीरथ ने शिवजी की उपासना की। शिवजी प्रसन्न हुए और भागीरथ से वर मांगने को कहा। भागीरथ ने अपना मनोरथ बताया जिस पर वे राजी हो गये। अंतत: जब गंगा पृथ्वी पर आयी तब शिवजी ने उन्हें अपनी जटाओं में ले लिया। इस पर गंगा छटपटाने लगी और शिव से माफी मांगने लगी। तब शिवजी ने उन्हें अपनी जटा से एक छोटे से पोखरे में छोड़ दिया जहां से गंगा सात धाराओं में प्रवाहित हुईं।
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