वाराणसी। महाशिवरात्रि (Mahashivratri 2023) पर श्री काशी विश्वनाथ मंदिर के महंत आवास पर लोकपरंपरानुसार शिव-पार्वती विवाह का आयोजन हुआ। बाबा भोलेनाथ खादी के वस्त्रों में तैयार होकर फूलों का सेहरा और मउर पहनकर अपनी दुल्हनिया माता गौरा को लेने ब्याहने पहुंचे। टेढ़ीनीम स्थित महंत आवास पर बाबा विश्वनाथ और गौरा के विवाह की रस्म परंपरागत तरीके से निभाई गई। करीब 358 सालों से चली आ रही विवाहोत्सव परंपरा के काशीवासी भी साक्षी बने।
शनिवार सुबह से ही महंत आवास पर विवाह की तैयारियां चल रही थीं। बाबा श्री काशी विश्वनाथ और माता गौरा की प्रतिमा का वर-वधू के रूप में शृंगार किया गया, उनकी चल प्रतिमा को सुंगधित फूल मालाओं से सजाया गया। बाबा विश्वनाथ के रजत विग्रह को मउर पहनाया गया। उसके बाद सात बजे फलाहर का भोग लगा। दोपहर मे ठंडई के साथ फलाहरी व्यंजन का भोग लगाकर दोपहर दो बजे के बाद संजीव प्रतिमाओं का राजसी श्रृंगार किया। सायंकाल बाबा को फूलों का सेहरा पहनाया गया।
सायं काल महंत आवास पर महिलाओं ने विवाह के मंगल लोकगीत गाते हुए परंपरा का निर्वाहन किया। विवाह आयोजन के लिए गवनहिरयों की टोली संध्या बेला में महंत आवास पर जमा हुईं। मंगल गीतों के गान के बीच बाबा को सेहरा बांधा गया। सभी रस्म महंत डा कुलपति तिवारी के सानिध्य में हुआ। मांगलिक गीतों से महंत आवास गुंजायमान रहा।
ढोलक की थाप और मंजीरे की खनक के बीच शिव-पार्वती के मंगल दाम्पत्य की कामना के साथ पारंपरिक शिव गीतों में दुल्हे की खूबियों का बखान हुआ।