इस साल वैशाख मास की पूर्णिमा 16 मई सोमवार को पड़ रही है। वैसे तो पूर्णिमा हर महीने में आती है, लेकिन धर्म शास्त्र में वैशाख मास के पूर्णिमा (Vaishakh Purnima) का खास महात्म्य है। इस दिन को काफी शुभ माना जाता है। ब्रह्मा जी ने वैशाख माह को सभी हिंदू महीनों में उत्तम कहा है। वैशाख पूर्णिमा को सभी तिथियों में सर्वश्रेष्ठ माना गया है। मान्यता के मुताबिक वैशाख पूर्णिमा के दिन भगवान बुध का जन्म हुआ था, इसलिए वैशाख पूर्णिमा को बुद्ध पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है। वैशाख पूर्णिमा के दन इस साल का पहला चंद्रग्रहण भी लगने जा रहा है। आइए जानते है वैशाख पूर्णिमा कब है इसका शुभ मुहूर्त और पूजा विधि।
इस दिन भगवान विष्णु के भक्त अपने आराध्य की खास तरीके से पूजा अर्चना करते हैं। वैशाख पूर्णिमा के दिन चंद्रमा की भी पूजा आराधना की मान्यता है। पौराणिक कथा के अनुसार भगवान श्रीकृष्ण के परम मित्र और सहपाठी सुदामा जब द्वारका में श्रीकृष्ण से मिलने आए तो भगवान ने उन्हें इस व्रत का महत्व बताया। इस व्रत के प्रभाव से ही सुदामा की दरिद्रता का नाश हो गया।
वैशाख पूर्णिमा शुभ मुहूर्त
वैशाख पूर्णिमा 15 मई को रात 12 बजकर 45 मिनट से शुरू होकर 16 मई को रत 09 बजकर 45 मिनट पर समाप्त होगी। वैशाख पूर्णिमा तिथि- मई 16 2022 वैशाख पूर्णिमा प्रारंभ तिथि- 15 मई 2022 को रात 12:45 बजे से
पूर्णिमा तिथि समाप्त-
16 मई 2022 को सुबह 09:43 बजे
वैशाख पूर्णिमा का महत्व
हिंदू मान्यता के अनुसार वैशाख पूर्णिमा का विशेष महत्व होता है। इस दिन को सबसे शुभ दिनों में से एक माना गया है। ऐसी भी मान्यता है कि इस दिन चंद्र पूजन करने से व्यक्ति की कुंडली में मौजूद चंद्र दोष दूर होता है। इसके अलावा मान्यता यह भी है कि वैशाख पूर्णिमा का व्रत रखने से सभी पापों व बुरे कर्मों से मुक्ति मिलती है। इसके साथ ही मृत्यु के उपरांत स्वर्ग की प्राप्ति होती हैं। यही नहीं हिंदू धर्म में यह भी मान्यता है कि यमराज देवता को प्रसन्न करने के लिए वैशाख पूर्णिमा के दिन व्रत रखकर विधि विधान से पूजा करनी चाहिए।
वैशाख पूर्णिमा पूजा विधि
वैशाख पूर्णिमा के दिन पवित्र नदी में या घर पर पानी में 2 बूंद गंगा जल डालकर स्नान करें। घर के मंदिर को पूरी तरह साफ करें और गंगाजल छिड़कें। सभी देवी-देवताओं का आह्वान कर प्रणाम करें। भगवान विष्णु की तस्वीर, प्रतिमा पर हल्दी से अभिषेक करें तथा उन्हें तुलसी अर्पित करें। भगवान विष्णु की हर पूजा में तुलसी को जरूर शामिल करना चाहिए। भगवान विष्णु व माता लक्ष्मी की पूजा और आरती करें। पूजा के दौरान भगवान विष्णु को सात्विक चीजों का भोग लगाएं और खुद व्रत का संकल्प लें।