वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि को गंगा सप्तमी मनाते हैं। माता गंगा जब पृथ्वी पर आने वाली थीं, तो सबसे बड़ी चिंता की बात यह थी क्या पृथ्वी मां गंगा के वेग व भार को सहन कर पाएगी। तब ब्रह्मा जी के सुझाव पर भगीरथ ने भगवान शिव को अपने कठोर तप से प्रसन्न किया था और उन्हें इस बात के लिए मनाया था कि मां गंगा स्वर्ग लोक से पृथ्वी पर आने से पहले अपनी जटाओं पर उतारें, जिससे मां गंगा का वेग व भार कम हो सके। तो चलिए जानते है कब हा गंगा सप्तमी, पूजा का शुभ मुहूर्त, विधि और महत्व।
गंगा सप्तमी 2022 कब है?
हिंदू पंचांग के अनुसार, इस साल वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि की शुरुआत 07 मई, शनिवार को दोपहर 02 बजकर 56 मिनट से हो रही है। इस तिथि का समापन 08 मई, रविवार को शाम 05 बजे होगा। वैशाख शुक्ल पक्ष की सप्तमी की उदयातिथि 08 मई को प्राप्त हो रही है। इसलिए गंगा सप्तमी 08 मई को मनाई जाएगी। गंगा सप्तमी 2022 शुभ मुहूर्त- 08 मई को
गंगा सप्तमी का पूजा का शुभ मुहूर्त
सुबह 10 बजकर 57 मिनट से दोपहर 02 बजकर 38 मिनट तक है। पूजा का शुभ मुहूर्त 02 घंटे 41 मिनट तक रहेगा।
गंगा सप्तमी पूजा विधि
गंगा सप्तमी के पावन दिन गंगा नदी में स्नान करना चाहिए
स्नान करते समय मां गंगा का ध्यान करें।
स्नान करने के बाद घर के मंदिर में दीप प्रज्वलि करें।
सभी देवी- देवताओं का गंगा जल से अभिषेक करें।
मां गंगा का अधिक से अधिक ध्यान करें।
मां का ध्यान करते हुए पुष्प अर्पित करें।
इस पावन दिन घर के मंदिर में ही मां गंगा को भोग लगाएं। इस बात का ध्यान रखें कि भगवान को सिर्फ सात्विक चीजों का भोग लगाया जाता है।
गंगा सप्तमी का महत्व
धार्मिक ग्रंथों के अनुसार मां गंगा स्वर्ग लोक से पृथ्वी पर सीधे अवतरित नहीं हुई थीं। अपने वेग और भार कम करने के लिए भोलेनाथ की जटाओं में उतरी थीं। उस दिन वैशाख शुक्ल की सप्तमी तिथि थी. और इस दिन को गंगा सप्तमी के नाम से जाना जाता है. मां गंगा के वेग को कम करने के लिए भगवान शिव ने उन्हें अपनी जटाओं में बांध दिया। इस कारण वे पृथ्वी पर नहीं उतर सकीं. ये बात भागीरथ को नहीं पता थी. ये बात का पता लगने के बाद भगरीथ ने एक बार फिर कठोर तप से भगवान शिव को प्रसन्न किया और मां गंगा को उनकी जटाओं से होते हुए पृथ्वी पर अवतरित होने की मांग की। तब मां गंगा पृथ्वी पर अवतरित हुईं और राजा सागर के 60 हजार पुत्रों को मोक्ष प्रदान किया।