स्वामी आत्मस्थानानंद के शताब्दी समारोह को संबोधित करने के दौरान प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने रविवार को फिल्म ‘काली’ से जुड़े पोस्टर का जिक्र किया। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, कि ‘मां काली का असीमित और असीम आशीर्वाद हमेशा भारत के साथ है। भारत इसी आध्यात्मिक ऊर्जा को लेकर आज विश्व कल्याण की भावना से आगे बढ़ रहा है।’
पीएम मोदी ने कहा कि ‘स्वामी रामकृष्ण परमहंस एक ऐसे संत थे, जिन्होंने मां काली का स्पष्ट दर्शन किया था, जिन्होंने मां काली के चरणों में अपना सर्वस्व समर्पित कर दिया था। वो कहते थे- ये सम्पूर्ण जगत, ये चर-अचर, सब कुछ मां की चेतना से व्याप्त है। यह चेतना बंगाल की काली पूजा में दिखती है। यहीं चेतना पूरे भारत की आस्था में दिखती है और जब आस्था इतनी पवित्र होती है तो शक्ति हमारा पथ प्रदर्शन करती है। प्रधानमंत्री ने कहा कि स्वामी विवेकानंद को भी मां काली की जो अनुभूति हुई, उनके जो आध्यात्मिक दर्शन हुए, उसने विवेकानंद में असाधारण ऊर्जा का संचार किया। उनकी बातों में भी मां काली की चर्चा होती रहती थी।
प्रधानमंत्री ने स्वामी आत्मस्थानानंद के साथ बिताए समय को याद करते हुए उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की। सभा को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा, ‘यह आयोजन कई भावनाओं और यादों से भरा हुआ है। मुझे हमेशा उनका आशीर्वाद मिला है, उनके साथ रहने का अवसर मिला। यह मेरा सौभाग्य है कि मैं अंतिम क्षण तक उनके संपर्क में रहा। मोदी ने कहा कि सैकड़ों साल पहले के आदि शंकराचार्य हों या आधुनिक समय में स्वामी विवेकानंद, भारत की संत परंपरा हमेशा ‘एक भारत, श्रेष्ठ भारत’ का नेतृत्व करती रही है।
डिजिटल इंडिया का उदाहरण लेते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि भारत डिजिटल भुगतान के क्षेत्र में एक विश्व नेता के रूप में उभरा है। प्रधानमंत्री ने भारत के लोगों को 200 करोड़ वैक्सीन खुराक देने की उपलब्धियों पर भी रोशनी डाली। उन्होंने कहा, कि ‘ये उदाहरण इस बात का प्रतीक हैं कि जब विचार अच्छे होते हैं तो प्रयास पूरा होने में देर नहीं लगती और बाधाएं हमारा रास्ता नहीं रोक सकती। हमारे गांव न केवल बदलाव ला सकते हैं, बल्कि बदलाव का नेतृत्व भी कर सकते हैं।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को कहा कि हमारे गांवों ने दिखाया है कि गांव न केवल बदलाव ला सकते हैं, बल्कि बदलाव का नेतृत्व भी कर सकते हैं. प्रधानमंत्री गुजरात के सूरत में आयोजित ‘प्राकृतिक खेती सम्मेलन’ को वर्चुअल तौर पर संबोधित कर रहे थे। कॉन्क्लेव में हजारों किसानों और अन्य सभी हितधारकों की भागीदारी देखी जा रही है, जिन्होंने सूरत में प्राकृतिक खेती को अपनाना एक सफलता की कहानी बना दिया है।