World Down Syndrome Day : डाउन सिंड्रोम के बारे में जन जागरूकता बढ़ाने के उद्देश्य से हर साल 21 मार्च को विश्व डाउन सिंड्रोम (World Down Syndrome Day) दिवस मनाया जाता है। विश्व डाउन सिंड्रोम दिवस’ (WDSD) एक वैश्विक जागरूकता दिवस है, जिसे संयुक्त राष्ट्र महासभा की सिफारिश के साथ 2012 से मनाया जाता है।। इस वर्ष विश्व डाउन सिंड्रोम दिवस 2023 की थीम ‘विद अस नॉट फॉर अस’ है। डाउन सिंड्रोम को मेडिकल भाषा में ‘ट्राइसॉमी 21’ कहा जाता है। यह रोग बच्चों में जन्म से या गर्भावस्था के दौरान होता है। आइए जानते है डाउन सिंड्रोम क्या है और इसके लक्षण क्या है।
डाउन सिंड्रोम क्या है? | What is Down syndrome?
डाउन सिंड्रोम एक जन्मशक्ति विकलांगता है जो उत्तरी अमेरिका के डॉनल्ड जॉन डाउन के नाम पर रखा गया था। यह एक जेनेटिक समस्या है जिसे डाउन सिंड्रोम के कारण उत्पन्न होती है। यह समस्या किसी भी जाति, धर्म या आयु समूह के लोगों में देखी जा सकती है। यह समस्या एक अनुमान के अनुसार लगभग 1000 बच्चों में एक बार होती है।
डाइन सिंड्रोम होने का मुख्य कारण
डाउन सिंड्रोम का मुख्य कारण एक अत्यधिकारण या तीनों जीनों के कमी होने से होता है, जिससे डीएनए के संरचनात्मक विकार के कारण उत्पन्न होता है। इससे अधिकतर मामलों में, एक बच्चे को उसकी माँ के गर्भ में ही इस समस्या से जन्मा जाता है। डाउन सिंड्रोम वाला बच्चा किसी भी उम्र में मां से पैदा हो सकता है, हालांकि मां की उम्र के साथ डाउन सिंड्रोम का खतरा बढ़ जाता है। एक 35 वर्षीय महिला के पास डाउन सिंड्रोम वाले बच्चे को गर्भ धारण करने का लगभग 350 में से एक को होता है और 40 साल की उम्र तक यह 100 में से 1 तक बढ़ जाता है।
डाउन सिंड्रोम एक आनुवंशिक विकार है जो गुणसूत्र-21 की तीसरी प्रति की उपस्थिति के कारण होता है। अधिकांश लोगों की सभी कोशिकाओं में 46 गुणसूत्र होते हैं, लेकिन डाउन सिंड्रोम वाले लोगों में 47 गुणसूत्र होते हैं और इस वजह से वे अलग दिखते हैं और अलग तरह से सीखते हैं। दूसरे शब्दों में कहें तो डाउन सिंड्रोम एक ऐसी स्थिति है जिसमें बच्चा मानसिक और शारीरिक विकारों से ग्रस्त होता है। डाउन सिंड्रोम में बच्चा अपने 21वें गुणसूत्र की एक अतिरिक्त प्रति के साथ पैदा होता है। इसलिए इसे ट्राईसोमी-2 भी कहते हैं। यह एक अनुवांशिक विकार भी है। यह बच्चे के शारीरिक विकास में देरी, चेहरे की विशेषताओं में अंतर और बौद्धिक विकास में देरी का कारण बनता है।
डाउन सिंड्रोम एक जन्मजात विकार है जो न्यूरोडेवलपमेंटल डिसऑर्डर के रूप में जाना जाता है। यह एक गंभीर स्थिति है जो एक व्यक्ति के बुद्धिमान और शारीरिक विकास को प्रभावित करती है।
डाउन सिंड्रोम के लक्षण निम्नलिखित हो सकते हैं-
- अत्यधिक चेहरे की मोटाई, बड़ी जीभ और छोटी आँखें।
- दिमाग का विकास अल्प होता है और अतिरिक्त दृष्टिकोण, याददाश्त, भाषा विकास आदि क्षेत्रों में कमी होती है।
- डाउन सिंड्रोम वाले बच्चे जन्मजात हृदय रोग, श्रवण हानि, आंखों की समस्याओं जैसे विभिन्न दोषों से प्रभावित हो सकते हैं।
कुछ अन्य लक्षण | Some Other Symptoms
डाउन सिंड्रोम वाले बच्चों का इम्यून सिस्टम कमजोर होता है। साथ ही यह भी पाया गया है कि आंतों की पाचन शक्ति बचपन में ही प्रभावित हो जाती है। वे हल्के से गंभीर मिरगी के दौरे का अनुभव भी कर सकते हैं। वे दृष्टि हानि भी पैदा कर सकते हैं। हड्डियों की समस्या रीढ़ की हड्डी की समस्या भी पैदा कर सकती है। लेकिन यहां यह बताना जरूरी है कि उपरोक्त सभी स्वास्थ्य समस्याएं डाउन सिंड्रोम से पीड़ित हर व्यक्ति में उत्पन्न नहीं होंगी। इन स्वास्थ्य समस्याओं की प्रकृति एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में भिन्न होती है।
कैसे हुई डाउन सिंड्रोम मनाने की शुरुआत
संयुक्त राष्ट्र महासभा की सिफारिश के साथ 2012 से यह दिवस मनाया जाता है। WDSD के लिए तीसरे महीने के 21वें दिन को 21वें क्रोमोसोम के ट्रिप्लिकेशन (ट्राइसॉमी) की विशिष्टता को दर्शाने के लिए चुना गया था, जो डाउन सिंड्रोम का कारण बनता है। संयुक्त राष्ट्र महासभा (UNGA) ने दिसंबर 2011 में 21 मार्च को विश्व डाउन सिंड्रोम दिवस (A/RES/66/149) के रूप में घोषित किया। UNGA ने 2012 से प्रत्येक वर्ष 21 मार्च को विश्व डाउन सिंड्रोम दिवस मनाने का निर्णय लिया। इस दिन का उद्देश्य डाउन सिंड्रोम के बारे में सार्वजनिक जागरूकता बढ़ाना है, और इसके लिए यूएनजीए सभी सदस्य राज्यों, संयुक्त राष्ट्र प्रणाली के संबंधित संगठनों और अन्य अंतरराष्ट्रीय संगठनों के साथ-साथ गैर-सरकारी संगठनों और निजी क्षेत्र सहित नागरिक समाज को विश्व डाउन सिंड्रोम दिवस को उचित तरीके से मनाने के लिए आमंत्रित करता है।