Bhai Dooj 2023 : वैसे तो पूरे देश में देवी-देवताओं के बहुत से मंदिर स्थापित है। इनमें से कई मंदिर ऐसे भी है जो अपने इतिहास और पौराणिक मान्यताओं को लेकर प्रसिद्ध है, लेकिन आज हम आपको एक ऐसे मंदिर के बारे में बताएंगे, जहां यम देव पूजे जाते है। भाई दूज के दिन इस मंदिर में भाई-बहन की जोड़ी के दर्शन को भक्तों की भारी भीड़ उमड़ती है। तो आइए जानते है ये मंदिर कहां स्थित है और क्यों यहां भाई-बहन दर्शन करते है।
यहां स्थित है ये मंदिर
हम जिस मंदिर की बात कर रहें है वो प्राचीन यमुना धर्मराज का मंदिर है, जो मथुरा के प्रसिद्ध विश्राम घाट पर स्थित है। बताया जाता है कि भगवान श्री कृष्ण ने कंस का वध करने के बाद इसी स्थल पर बैठकर विश्राम किया था। तभी से इस स्थान का नाम विश्राम घाट पड़ गया। श्रद्धालु सुबह से शाम तक यहां आया करते हैं। मां यमुना की पूजा करने के बाद श्रद्धालु यमुना धर्मराज मंदिर के दर्शन करते हैं। वहीं शुक्लपक्ष भैया दूज के दिन लाखों की संख्या में भक्त विश्राम घाट आकर यमुना जी में स्नान करते हैं।
यमदेव और यमुना की चार भुजा धारी प्रतिमा
धर्मराज मंदिर के पुजारी शैलेंद्र चतुर्वेदी के अनुसार इस मंदिर में भाई यमराज और बहन यमुना की चार भुजा धारी प्रतिमा स्थापित है। यमुना जी एक हाथ में भोजन की थाली, दूसरे हाथ में कमल का पुष्प लिए तीसरे हाथ से भाई को टीका कर रही हैं और चौथे हाथ से भाई से वरदान ले रही हैं।
ये है मान्यता
स्नान के बाद भाई-बहन एक साथ मंदिर में दान-पुण्य करते हैं। मथुरा का यह मंदिर बहुत ही खास माना जाता है, क्योंकि यह दुनिया का एकलौता ऐसा मंदिर है, जहां पर भाई-बहन की जोड़ी को पूजा जाता है। पौराणिक मान्यता है कि जो भी भाई-बहन इस मंदिर में भैया दूज यानी यम द्वितीया के दिन एकसाथ स्नान करते हैं उन्हें मृत्यु के बाद बैकुंठ की प्राप्ति होती है।
पौराणिक कथा
कथा के अनुसार भगवान सूर्य की पत्नि संज्ञा के पुत्र यमराज और पुत्री यमुना थी। लेकिन सूर्य के ताप को सहन नहीं करने की वजह से उन्होंने छाया को अपनी जगह छोडकर चली गई। छाया से ताप्ती और शनि पैदा हुए। छाया का यमुना और यम से अच्छा व्यवहार नहीं होने पर यम ने एक नई नगरी का निर्माण किया। जो श्रीकृष्ण के अवतार के समय गो लोक चली आई। भाई से स्नेह के कारण कई बार यमराज से अपने यहां आने की प्रार्थना की। आखिर में एक दिन यमराज अपनी बहन से मिलने के लिए आए। लेकिन वह उनको गो लोक में मिली।
जहां बहन ने भाई का जमकर आवाभगत किया। जिससे प्रसन्न होकर भाई यमराज ने यमुना से एक वरदान मांगने को कहा। यमुना ने यमराज से कहा कि उनके पास तो सब कुछ है। वह कृष्ण की पटरानी हैं, उनके स्वामी संसार को सब कुछ देने वाले हैं. कोई भला मुझे क्या कुछ दे सकता है?
यमराज ने बहन यमुना को दिया वरदान
फिर भी भाई यमराज ने अपनी बहन से कुछ भी मांगने के लिए कहा. तब बहन यमुना ने भाई से पूछा कि आप के प्रकोप से लोगों को मुक्ति कैसे मिलेगी? इस पर यमराज ने कहा कि शुक्ल पक्ष की दूज के दिन जो भी भाई-बहन विश्राम घाट पर आकर स्नान करेंगे उन्हें मेरे प्रकोप से मुक्ति मिलेगी। वह मृत्यु के बाद सीधा बैकुंठ में वास करेंगे। इसके बाद यमराज और यमुना जी ने विश्राम घाट पर एक साथ स्नान किया।