Digital Detox : आज के समय मे लोगों को इलेक्ट्रॉनिक गैजेट्स और सोशल मीडिया की ऐसी लत लगी है कि ज्यादा देर इससे खुद को दूर नहीं रख पाते। उनके इस आदत को धीरे-धीरे खत्म करने और उन्हें इससे होने वाली बीमारियों से बचाने के लिए भारत में एक ऐसी जगह है, जहां एक अनोखी मुहिम चलती है। जिसके तहत लोगों को अपने सारे इलेक्ट्रानिक गैजेट्स बंद करने पड़ते है। इतना ही नहीं इस नियम का बड़े कड़ाई के साथ पालन भी कराया जा रहा है। तो चलिए जानते है आखिर ऐसी कौन सी जगह और ये कैसा नियम है….
इस मुहिम का नाम डिजिटल डिटॉक्सिंग प्रोग्राम
हम जिस जगह कि बात कर रहे है, वो हैं महाराष्ट्र के सांगली जिले में स्थित मोहित्यांचे वडगांव (Mohityanche Vadgaon), यहां Digital Detox प्रोग्राम चलाया जाता है। जो गांव के हर घर में बेहद लोकप्रिय है। इस प्रोग्राम के तहत लोगों को इलेक्ट्रॉनिक गैजेट्स और सोशल मीडिया की लत से होने वाली बीमारियों से बचाने के लिए रोजाना 90 मिनट तक अपने सारे इलेक्ट्रानिक गैजेट्स बंद करने होते है।
रोजना 7 बजे मंदिर से बजता है सायरन
बता दें कि इस गांव में इस नियम का पालन कराने के लिए रोजाना 7 बजे मंदिर से सायरन बजता है, जो लोगों को इंडिकेट करता है कि सभी लोग तुरंत अपने मोबाइल फोन, टीवी और अन्य गैजेट्स का इस्तेमाल बंद करके रख दें। वहीं गांव के लोग सायरन की अवाज सुनते ही अपने सारे इलेक्ट्रानिक गैजेट्स बंद कर देते है। अब आप सोच रहे होंगे कि लोग इस दौरान करते क्या होंगे तो चलिए ये भी बताते है।
90 मिनट में लोग करते है ये काम
इस दौरान लोग आपस में बातचीत करते है, उन्हें समझने कि कोशिश करते है एक दूसरे का सुख-दुख बांटते है। इसके अलावा किताबें पढ़ते हैं। वहीं इस मुहिम के 90 मिनट यानी ठीक डेढ़ घंटे बाद रात को 8.30 बजे दूसरा सायरन बजता है। इसके बाद जिनका मन होता है, वे अपने माबाइल और टीवी को ऑन कर लेता हैं। बता दें कि इस बात का भी खास ध्यान रखा जाता है, कि कहीं कोई इस नियम को तोड़ तो नहीं रहा है, इसकी भी निगरानी की जाती है। इसके लिए एक वार्ड समिति का गठन भी किया गया है। बता दें कि इस पूरे गांव की आबादी 3200 है।
गांव के सरपंच ने दिया था इस मुहिम का प्रस्ताव
बता दें कि इस मुहिम का प्रस्ताव गांव के सरपंच विजय मोहिते ने रखा था। जिसका परिणाम है कि शाम 7 बजे सायरन बजते ही लोग अपने सारे इलेक्ट्रानिक गैजेट्स बंद कर लेते हैं। सरपंच मोहिते ने कहा कि ‘स्वतंत्रता दिवस पर, हमने महिलाओं की एक ग्राम सभा बुलाई और एक सायरन खरीदने का फैसला किया। फिर आशा कार्यकत्री, आंगनवाड़ी सेविका, ग्राम पंचायत कर्मचारी, सेवानिवृत्त शिक्षकों डिजिटल डिटॉक्स के बारे में जागरूकता पैदा करने के लिए घर-घर गए, इसके बाद पूरा गांव इस मुहिम से कनेक्ट हो गया।
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