Thursday, May 22, 2025
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Maha Shivratri 2023 : बम-बम भोले से गूंजेगी छोटी काशी, भगवान शिव-पार्वती की शादी में 216 देवी-देवता होंगे शामिल

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Maha Shivratri 2023 : आज पूरे देश में बड़े ही धूमधाम से शिवरात्रि का पर्व मनाया जाएगा, देशभर के शिवालयों में भक्तों की भारी भीड़ उमड़ रही है। सभी शिवभक्त माता पार्वती और महादेव के विवाहोत्सव की तैयारियों में जुटे हुए है। आज हम आपको भारत के एक ऐसी जगह के बारे में बताएंगे, जहां कि शिवरात्रि और जगहों से बिल्कुल ही अलग मानी जाती है। इस जगह को छोटा काशी के नाम से भी जाना जाता है। कहा जाता है कि यहां महाशिवरात्रि पर आज भी देवता गण भगवान भोलेनाथ और पार्वती की शादी में शामिल होने के लिए धरती पर पधारते है। इस बार भी 216 देवी देवताओं को शादी समारोह में शामिल होने के लिए आमंत्रित किया गया है। तो आइए जानते है वो कौन सी जगह है…

यहां स्थित है वो जगह

दरअसल, हम जिस जगह की बात कर रहे है वो हिमाचल प्रदेश के बीच में बसा मंडी (Mandi) शहर छोटी काशी के नाम से भी जाना जाता है। मंडी शहर में भगवान शिव के दर्जनों प्राचीन मंदिर मौजूद हैं, जिनमें प्रमुख रूप से बाबा भूतनाथ, एकादश रूद्र, अर्धनारिश्वर, त्रिलोकीनाथ, पंचवक्त्र, नीलकंठ महादेव और महामृत्युंज्य शामिल हैं। यहां शिवरात्रि पर 81 मंदिरों के देवी-देवताओं को आमंत्रित किया गया है।

216 देवी-देवता को दिया गया है निमंत्रण पत्र

जिला प्रशासन की ओर से पंजीकृत 216 देवी-देवता कमेटियों को ही निमंत्रण पत्र दिए गए हैं। इस दौरान मंदिर परिसर में ही घाटी के विभिन्न देवता भी ठहरने का प्रबंध किया गया। सात दिनों तक मंडी के देवता यहां निवास करते हैं और इस दौरान बाबा भूतनाथ के दर पर सभी देवी-देवता शामिल होकर देवाधिदेव महादेव का गुणगाण करेंगे।

यहां लगता है अंतरराष्ट्रीय शिवरात्रि मेला

यहां महाशिवरात्रि पर अंतरराष्ट्रीय शिवरात्रि मेले का आयोजन किया जाता है, जिसका शुभारंभ तारा रात्रि से हो जाता है और शिवरात्रि से अगले 8 दिनों तक यह पर्व इसी तरह धूमधाम और हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। पहाड़ों पर होने वाला यह महोत्सव मंडी में ही बने भूतनाथ मंदिर पर केंद्रित है। भूतनाथ मंदिर भगवान शिव का मंदिर है।

सपने में भगवान शिव ने राजा को दिए थे दर्शन

इस मंदिर का निर्माण मंडी के राजा रहे राजा अजबर सेन ने कराया था, जो कि मंडी टाउन के बीच में बना हुआ है। राजा अजबेर सेन के सपने में भगवान शिव ने दर्शन दिए और उसे बताया कि जिस स्‍थान पर गाय के थनों से दूध बहता है। वहां शिवलिंग स्‍थापित है। उन्होंने राजा को कहा कि यहां पर एक भव्य मंदिर बनवाकर इसे भूतनाथ का नाम दिया जाए। बाबा भूतनाथ मंदिर में हर वर्ष शिवरात्रि का त्यौहार हर्षोल्लास से मनाया जाता है। शिवरात्रि से पहले ही इस मंदिर में भक्तों का तांता लगना शुरू हो गया है।

शिवरात्रि के दौरान भोलेनाथ को चढ़ता है मक्खन

शिवरात्रि में देव कारज का हिस्सा बन शिव भक्तों को आशीर्वाद देते हैं। ये आयोजन इतना भव्य होता है कि इसकी तैयारी एक महीने पहले शुरू हो जाती है। यहां महाशिवरात्रि से एक माह तक मंदिर में हर रोज श्रद्धालु मक्खन चढ़ाते हैं। इस दौरान यहां जलाभिषेक नहीं होता है। इस एक महीने में यहां एक क्विंटल से ज्यादा मक्खन चढ़ाया जाता है। शिवरात्रि के दिन शिवलिंग से मक्खन को निकाला जाता है। उसके बाद शिवलिंग का शिवरात्रि मेले के लिए जलाभिषेक करके श्रृंगार किया जाता है। इसी के साथ शिवरात्रि पर्व की समापन होता है।

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