वाराणसी। आज चैत्र नवरात्रि ( Chaitra Navratri 2024) का दूसरा दिन है। इस दिन माता ब्रह्मचारिणीं देवी (Brahmacharini Devi) के दर्शन का विधान है। माता का अतिप्राचीन मंदिर गंगा तट पर ब्रह्माघाट पर स्थित है। श्रद्धालु संकरी गलियों में मां के दर्शन को अर्द्धरात्रि के बाद से ही कतारबद्ध हो गए थे। मंगला आरती के बाद से माता के जयकारे से मंदिर परिसर गूंज रहा है।
मान्यता है कि मां ब्रह्मचारिणी के दर्शन से संतान की प्राप्ति होती है और साथ ही साथ मां धन-धन्य से परिपूर्ण करती हैं। इसके अलावा पढ़ाई में कमजोर विद्यार्थियों को माता ब्रह्मचारिणीं का नियमित दर्शन करना चाहिए।
Brahmacharini Devi : दर्शन से पूरी होती है सभी मनोकामना
मंदिर के महंत पंडित राजेश्वर सागरकर ने बताया कि अश्विन नवरात्र के दूसरे दिन देवी ब्रह्मचारिणीं के दर्शन का विधान है। काशी में यह दर्शन-पूजन अति प्राचीन काल से इस मंदिर में चला आ रहा है। माता सभी मनोकामनाएं पूरी करती हैं। विशेषकर कहा गया है कि जो विद्यार्थी पढ़ाई में कमजोर हैं वो माता का नियमित दर्शन और श्लोक का पाठ करें तो उन्हें अवश्य लाभ मिलेगा और उनकी अच्छी नौकरी भी लग जाएगी।
मां दुर्गा की नव शक्तियों का दूसरा स्वरुप माता ब्रह्मचारिणी का है। यहां ‘ब्रह्म’ शब्द का अर्थ तपस्या है यानी तप का आचरण करने वाली भगवती। इसीलिए इन्हें ब्रह्मचारिणी कहा गया। देवी का यह रुप पूर्ण ज्योतिर्मय और अत्यंत भव्य है। इस देवी के दाएं हाथ में जप की माला है और बाएं हाथ में यह कमण्डल धारण किए हैं।